एक्रो योग (Acro Yoga) पार्टनर के साथ किया जाने वाला योग है। इस योग में आपस में काफी तालमेल और एकाग्रता की जरूरत होती है। इसलिए कहा जाता है कि रिलेशनशिप की मजबूती चाहिए तो पार्टनर्स को साथ में एक्रो योग करना चाहिए।
इसको करने से सेहत भी दुरुस्त रहेगी और आपस में तालमेल भी बैठेगा। जो जिंदगी के हर फैसले में काम आएगा। एक्रो योग करने से पार्टनर के बीच आपसी तालमेल से साथ विश्वास भी पैदा होता है। तो आगे की स्लाइड में जानिए एक्रो योग के प्रकार।
एक्रो योग एक तरह का कपल योग है, जिसमें पार्टनर एक साथ योग करके बॉडिंग, समन्वय और आत्मविश्वास विकसित करते हैं। अगर इस योग को रोजाना 45 मिनट किया जाए, तो यह मजबूती बढ़ाने के साथ-साथ पेट की चर्बी भी कम करता है। यह पेट, जांघ, बाजू को सही आकार में लाता है। इसलिए यह योग महिलाओं के लिए सबसे बेहतर है। इस योग की शुरुआत करने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपका पार्टनर आपके शरीर की फिटनेस और ताकत को समझता हो, क्योंकि इन बातों का ध्यान रखकर ही आप एक्रो योग को आसानी से कर सकते हैं।
इसके लिए मैट पर सीधे लेट जाएं। अब फर्श से ऊपर की ओर पैरों को उठाएं। इसके बाद फ्लायर इस तरह ऊपर उठे कि उसके पैरों की उंगलियां दूसरे पार्टनर की उंगलियों को छुएं। यह फ्लायर की जिम्मेदारी है कि पार्टनर के पैरों के बाहरी हिस्सों को अपने कूल्हे की हड्डी पर सही तरीके से रखे। अब अपनी हथेली को आगे की तरफ बढ़ाएं।
मैट पर लेटे हुए पार्टनर भी अपनी हथेली को ऊपर की तरह उठाए और फ्लायर की हथेली को पकड़ ले। ऐसा करने के बाद सांस अंदर लेते हुए अपने घुटने को मोड़ लें। फिर सांस छोड़ते हुए अपने पैरों और बाहों को सीधा करें। कंधे का भार कलाइयों पर दें। इस बात का खास ध्यान रखें कि आपके और फ्लायर के कंधे एक समान हों। इस पोज से बाहर आने के लिए अपने घुटने और कोहनी को झुकाएं और धीरे-धीरे प्रारंभिक स्थिति में वापस आएं।
इस पोज को करने के लिए अपने पैरों को उठाएं और पार्टनर के कूल्हे की हड्डी पर नहीं, बल्कि कूल्हे के अंदर की तरफ मोड़ कर रखें। अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले जाएं, फिर धीरे- धीरे अपने घुटने को झुकाएं और पार्टनर को उठाएं। फिर अपनी बाहों को आराम दें। अब पीछे की ओर जाएं। अपने पैरों को फर्श की तरफ रखें और पूरे शरीर को आराम देने के लिए लटका दें।
इस पोज से बाहर आने के लिए धीरे-धीरे अपनी हथेलियों का सहारा लेते हुए पार्टनर को पकड़ें। फिर अपने घुटने को झुकाएं। फिर इस पोज से धीरे-धीरे अपनी प्रारंभिक स्थिति में आ जाएं। इसमें और भी अनेक पोज हैं, जिनके ढेर सारे अलग-अलग लाभ हैं।