सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) को शक्ति पर्व कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि की इस अवधि में मां के नौ रूपों की पूरे विधि विधान पूजा अर्चना की जाती है। पौराणिक मान्यता है कि नवरात्रि काल में मां दुर्गा भूलोक में निवास करती है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, 2024 से हो रही है जोकि 11 अक्टूबर तक चलेगी।
नवरात्रि (Shardiya Navratri) में मां दुर्गा की पूजा उपासना के लिए घटस्थापना का विधान है। मां की नौ दिनों तक पूजा करने के लिए अखण्ड ज्योति भी जलाने का विधान है। वास्तु के अनुसार,कलश स्थापना ईशान कोण यानी कि उत्तर-पूर्व कोण में करें। वास्तु शास्त्र के अनुसार यह दिशा पूजा-पाठ के लिए सबसे शुभ और उत्तम है, इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
नवरात्रि (Shardiya Navratri) के लिए वास्तु टिप्स
साफ-सफाई करें : नवरात्रि से पहले अपने घर को साफ-सुथरा और व्यवस्थित करें।
मूर्ति को सही तरीके से रखें : दुर्गा माता की मूर्ति को सही तरीके से रखें।
प्रवेश द्वार को सजाएं : मुख्य द्वार को आम के पत्तों या चूने और हल्दी से बने स्वस्तिक से सजाएँ।
तुलसी का पौधा लगाएं : अपने घर के उत्तर-पूर्व कोने में तुलसी का पौधा लगाएँ।
घी के दीये का इस्तेमाल करें : पूजा के लिए घी के दीये का इस्तेमाल करें।
अखंड ज्योति रखें : पूजा मंदिर में अखंड ज्योति रखें।
पूर्व या उत्तर की ओर मुख करें : प्रार्थना करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करें।
चंदन का इस्तेमाल करें : सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए चंदन का इस्तेमाल करें।
शंख बजाए : शंख बजाने से वातावरण शुद्ध होता है।
धूप का इस्तेमाल करें : वातावरण को शुद्ध करने के लिए धूप का इस्तेमाल करें।
देवी भागवत पढ़ें : ग्रहों के प्रभावों को बेअसर करने के लिए देवी भागवत पढ़ें।
कन्या पूजन का आयोजन करें : अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन का आयोजन करें।
आम के पत्तों का तोरण लटकाएं : नकारात्मक ऊर्जा को बाहर रखने के लिए मुख्य द्वार पर ताजे आम के पत्तों और लाल धागे से बना तोरण लटकाएं।
ओम या स्वास्तिक बनाएं : सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए मुख्य द्वार पर ओम या स्वास्तिक बनाएं।