आश्विन माह के कृष्णपक्ष को पितृपक्ष (Pitru Paksha) कहा जाता है। पितृपक्ष की शुरूआत 17 सितंबर से हो रही है। पहला श्राद्ध 18 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर दिया जाएगा। 2 अक्टूबर को आमवस्या के दिन इसका समापन हो जाएगा।
पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पूर्वजों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है। इस दौरान पितृ धरती पर आकर अपने परिजनों से मिलते हैं। ऐसे में कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे वह नाराज हों। इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि इन 15 दिनों में आप कौन से काम भूलकर भी ना करें।
इन कामों को भूलकर ना करें
नए घर का निर्माण ना शुरू करें
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान माना जाता है कि नए घर का निर्माण कार्य नहीं शुरू करना चाहिए। ऐसा करने पर पितृ गुस्सा हो जाते हैं, जिससे नकारात्मकता फैलती है।
मांगलिक कार्य ना करें
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान विशेष ध्यान रखें कि किसी भी तरह का मांगलिक कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। मुंडन, सगाई, जनेऊ, गृह प्रवेश आदि कार्यों से दूर ही रहना चाहिए। नए वाहन, आभूषण भी खरीदने से बचना चाहिए, क्योंकि इन सबसे पितृ दुखी होते हैं।
मांस मदिरा से रहें दूर
शास्त्रों की मानें तो पितृपक्ष के दौरान शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए। मदिरा या मांसाहार के सेवन से दूर ही रहना चाहिए। ऐसा करने से पितृ नाराज हो सकते हैं, जिसका घर परिवार पर गलत असर दिख सकता है।
इन खानों तो हाथ ना लगाए
पितृ पक्ष के दौरान इन चीजों को भूलकर भी हाथ नहीं लगाना चाहिए। चना, काला नमक, खीरा, सरसों का साग, कद्दू आदि चीजों से दूरी बनानी चाहिए।
रात में ना करें श्राद्ध
पितृपक्ष (Pitru Paksha) में पितृ का तर्पण व श्राद्ध सूर्य की रोशनी में ही करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि यह रात के अंधेरे में नहीं करना चाहिए। इसको अशुभ माना जाता है।
पितरों को जल अर्पण (तर्पण)
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान प्रतिदिन स्नान और ध्यान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पितरों को जल का अर्घ्य दें। यह तर्पण विधि आपके पूर्वजों को सम्मान और आशीर्वाद प्रदान करने के लिए की जाती है। तर्पण करते समय गायत्री मंत्र या पितृ मंत्र का उच्चारण करें, जो पितरों को तृप्त करने का उपाय है।
पितरों को भोजन अर्पण
पितृ पक्ष में पूर्वजों को भोजन अर्पण करना महत्वपूर्ण है। यह भोजन उन्हें श्रद्धांजलि देने का तरीका है। आप विशेष रूप से श्राद्ध के दिन पितरों के लिए भोजन बनाकर अर्पित करें। यह भोजन साधारण, सात्विक और शुद्ध होना चाहिए, जिसे बिना लहसुन-प्याज के तैयार किया जाता है।
ब्रह्मचर्य का पालन
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करने का विशेष महत्व है। ब्रह्मचर्य से मनुष्य का आचरण शुद्ध होता है। इस समय संयमित जीवन और पवित्र विचारों का पालन करना चाहिए।
जरूरतमंदों की सेवा और दान
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दौरान अन्न, जल और धन का दान करने से पितरों को संतोष प्राप्त होता है। आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। जरूरतमंदों की सेवा और उन्हें भोजन या वस्त्र दान करना पितृ पक्ष में महत्वपूर्ण माना जाता है।
पशु-पक्षियों को भोजन दे
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के समय रोजाना पशु-पक्षियों को चारा या भोजन देना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। अपने घर की छत पर पक्षियों को दाना दें। इससे पितरों की आत्मा को तृप्ति मिलती है।