हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान की भक्ती में लीन होने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए भक्तों के लिए आरती ( Aarti) एक माध्यम है. चाहे किसी भी प्रकार की पूजा हो, बिना आरती करे हुए वह पूजी संपन्न नहीं मानी जाती है. चूंकि ईश्वर की पूजा में भाव का बहुत अधिक महत्व होता है, ऐसे में श्रद्धा और विश्वास के साथ की गई आरती से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है.
लेकिन, इस आरती ( Aarti) के भी अपने कुछ तरीके और नियम हैं जिनकी अनदेखी भक्त को लाभ के बजाए अशुभ फल प्रदान कर सकती है. तो आइए जानते हैं कि आरती करते वक्त किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए, जिससे भगवान जल्द प्रसन्न हो जाएं.
आरती ( Aarti) से जुड़े नियम
>> ऐसी मान्यता है कि भगवान की पूजा दिन में दो बार, सुबह और शाम करना अत्यंत शुभ होता है. ध्यान रखें कि आरती करते वक्त पूजा की थाली में पहले रोली से स्वास्तिक बनाएं और उसके बाद उसमें पुष्प अर्पित करें और फिर दीपक रखें.
>> इस बात का खास ख्याल रखें कि आरती करने से पहले और आरती के बाद शंख अवश्य बजाएं. यदि संभव हो तो आरती के दौरान, बीच में भी, शंख भी बजा सकते हैं.
>> आरती करते वक्त कोशिश करें कि थाल को ॐ वर्ण के आकार में खुमाएं.
>> भगवान की आरती करते वक्त उसे अपने आराध्य के चरण की ओर चार बार, नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ जरूर घुमाना चाहिए. इस पूरा प्रकिया को कुल सात बार दोहराएं.
>> आरती के दौरान ध्यान रखें कि पहले से जले हुए दीपक में दुबारा से बाती या कपूर रखकर ना जलाएं. यदि मिट्टी का दिया हो तो उसे बदल कर नया दिया लें, और अगर दीपक धातु का बना हो तो उसे मांज-धोकर ही दोबारा इस्तेमाल करें.
>> जब भी देवी-देवताओं की आरती करें तो ये ध्यान रखें कि आप बैठे ना हों. यदि आप शारीरिक तौर पर खड़े होने में असमर्थ हैं, या किसी कारणवश नहीं खड़े हो सकते तो ईश्वर से क्षमा याचना करते हुए आरती की क्रिया को पूरा कर सकते हैं.