धर्म डेस्क। धनतेरस के दिन से ही दिवाली यानि सुख और समृद्धि देने वाला पर्व शुरु हो जाता है। कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। यह त्योहार संपन्नता के साथ आरोग्यता भी प्रदान करता है। इस दिन देवताओं को चिकित्सक धनवंतरी देव की पूजा की जाती है।
धर्म ग्रंथो में मिलने वाली पौराणिक कथाओं के अनुसार सुमद्रमंथन के समय धनत्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इस दिन नई चीजों और बर्तन खरीद कर लाने की परंपरा है।
माना जाता है कि धनवंतरी भगवान जो अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह पीतल की धातु का था, इसलिए धनतेरस पर पीतल के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ रहता है। धनवंतरी भगवान को विष्णु जी का ही स्वरुप माना जाता है, इसलिए इस दिन पीले रंग की चीजें खरीदना चाहिए। इसके अलावा धनतेरस सोना, चांदी आदि भी खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों में तेरह गुना वृद्धि होती है। लेकिन धनतेरस वाले दिन लोहे के बर्तन व इससे बनीं चीजों की खरीददारी करने से बचना चाहिए।
धनतेरस पर लाए गए बर्तनों को कभी खाली नहीं रखना चाहिए। धनतेरस पर लाए गए बर्तनों को खाली रखना शुभ नहीं माना जाता है। इसलिए बर्तनों को भरकर रखना चाहिए। भरे हुए बर्तनों की तरह घर के भंडार भी भरे रहते हैं।