हर माह में एक बार पूर्णिमा तिथि (Purnima Tithi) आती है. पूर्णिमा को बेहद शुभ दिन माना जाता है. 16 मई को वैशाख माह (Vaishakha Month) की पूर्णिमा तिथि है. इसे वैशाखी पूर्णिमा (Vaisakhi Purnima 2022) के नाम से जाना जाता है. पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है.
इस दिन भगवान बुद्ध की भी पूजा होती है. बुद्ध भगवान को नारायण का नौवां अवतार माना गया है. कहा जाता है कि बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima) के दिन ही भगवान बुद्ध को पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. धर्म ग्रंथों में इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का भी महत्व बताया गया है.
इसलिए इसे पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद अगर पीपल से जुड़े कुछ उपाय किए जाएं, तो जीवन की तमाम परेशानियों का अंत किया जा सकता है.
दुर्भाग्य दूर करने के लिए
अगर मेहनत के बीच बार बार किस्मत आकर टकरा जाती है, तो वैशाखी पूर्णिमा के दिन नारायण की विधिवत पूजा करने के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं. सात बार पेड़ की परिक्रमा करें और नारायण के मंत्र का जाप परिक्रमा के दौरान करते रहें. इसके बाद प्रभु से अपने दुर्भाग्य को दूर करने की प्रार्थना करें. इससे नारायण का आशीष तो मिलता ही है, साथ ही सौभाग्य प्राप्ति होती है.
धन प्राप्ति के लिए
जीवन में आर्थिक समस्याएं खत्म नहीं होतीं, तो पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद पीपल के 11 पत्ते लेकर इन्हें गंगाजल से शुद्ध करें. इन पत्तों पर लाल चंदन से श्रीं लिखें. इसकी माला बनाकर नारायण को पहनाएं. इससे नारायण और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त होती है और धन संबन्धी समस्याएं दूर होती हैं.
शनि से जुड़ी समस्याएं दूर करने के लिए
अगर आपके जीवन में शनि से जृड़ी समस्या है तो पूर्णिमा (Buddha Purnima) के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे कुश का आसन बिछाकर देसी घी का दीपक जलाएं. प्रभु श्रीराम को याद करें और इसके बाद हनुमान चालीसा का 7 बार पाठ करें. ऐसा करने से शनि से जुड़े दोष कम होते हैं और जीवन के कई संकट कट जाते हैं.
नवग्रह शांति के लिए
नवग्रह शांति के लिए वैशाखी पूर्णिमा पर सुबह जल्द उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद मिट्टी से पीपल के वृक्ष के नीचे एक शिवलिंग बनाएं. शिवलिंग का पूजन करें और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें. इसके अलावा नवग्रह शांति मंत्र ‘ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च, गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु’ का जाप करें. ऐसा करने से नवग्रह के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और जीवन में सौभाग्य वृद्धि होती है.