हिन्दू धर्म में सामान्यत: आषाढ़ से कार्तिक माह तक शुभ कार्य बंद रहते हैं। माना जाता है कि इस समय देवता, मुख्य रूप से श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। जब श्री हरि देवोत्थान एकादशी को योगनिद्रा से जगते हैं, तब जाकर शुभ कार्य पुनः आरम्भ होते हैं। यह अवसर हिन्दू धर्म में विशेष आनंद और मंगल का माना जाता है।
देवताओं के जागने से शुभ कार्य शुरू
देवताओं के जागृत हो जाने पर शुभ शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। मन और शरीर की स्थिति बेहतर हो जाती है। ग्रहों की स्थिति भी विशेष अनुकूल हो जाती है। ऐसी दशा में शुभ कार्य करने के परिणाम भी शुभ होते हैं। ये तमाम शुभ कार्य 14 नवंबर से 15 दिसंबर तक किए जा सकेंगे।
देवोत्थान एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। पुनः कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इन चार महीनो में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं और जब भगवान विष्णु जागते हैं तभी कोई मांगलिक कार्य संपन्न हो पाता है। देव जागरण या उत्थान होने के कारण इसको देवोत्थान एकादशी कहते हैं। इस दिन उपवास रखने का विशेष महत्व है, कहते हैं इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन तुलसी विवाह और दीप-दान का भी महत्व है।
देवोत्थान एकादशी की पूजन विधि
गन्ने का मंडप बनाएं। बीच में चौक बनाया जाता है। चौक के मध्य में चाहें तो भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रख सकते हैं। चौक के साथ ही भगवान के चरण चिन्ह बनाए जाते हैं जिसको कि ढंक दिया जाता है। भगवान को गन्ना, सिंघाडा और फल-मिठाई समर्पित किया जाता है। घी का एक दीपक जलाया जाता है जो कि रात भर जलता रहता है।
देवउठनी एकादशी पर करें ये काम, मिलेगा विष्णु भगवान का विशेष आशीर्वाद
सुबह के वक्त भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है। फिर चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है। इस समय शंख-घंटा-और कीर्तन की आवाज की जाती है। इसके बाद व्रत-उपवास की कथा सुनी जाती है। इसके बाद से सारे मंगल कार्य विधिवत शुरु किए जा सकते हैं।
देवोत्थान एकादशी पर राशिनुसार उपाय
मेष- श्री हरि के चरणों का दर्शन करें और गुड़ का भोग लगाएं और खाएं।
वृष- भगवान को पंचामृत का भोग लगाएं और ग्रहण करें
मिथुन- भगवान कृष्ण की पूजा करें और तुलसी दल का सेवन करें
कर्क- भगवान को सफेद चन्दन अर्पित करें और स्वयं भी लगाएं
सिंह- भगवान को शुद्ध जल अर्पित करें और पूरे घर में जल का छिड़काव करें
कन्या- विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और शंख ध्वनि करें
तुला- भगवान को पंचामृत अर्पित करें और कीर्तन करें
वृश्चिक- भगवान के चरणों को स्पर्श करें और भोजन अर्पित करें, प्रसाद रूप में ग्रहण करें
धनु- भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें और इसे वर्षभर सहेजकर अपने पास रखें
मकर- भगवान को फलों का भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में ग्रहण करें
कुम्भ- भगवान के लिए घी का दीपक जलाएं और खूब भजन कीर्तन करें
मीन- भगवान को ढेर सारे फूल अर्पित करें और उनको चारों को स्पर्श करके क्षमायाचना करें