पितृपक्ष हिंदू धर्म में पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए समर्पित पखवाड़ा है। इस दौरान रोजाना तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किए जाते हैं। लेकिन अगर पितृपक्ष में प्रदोष (Pradosh) तिथि का योग पड़ जाए तो यह समय और भी शुभ माना जाता है। प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद का समय, जब भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि पितृपक्ष के प्रदोष में की गई साधना पितरों और भगवान शंकर दोनों को प्रसन्न कर देती है।
पितृपक्ष का प्रदोष (Pradosh) काल ऐसा संयोग है जिसमें पितृ और शिव दोनों की कृपा एक साथ मिल सकती है। इन छोटे-छोटे उपायों से न केवल पूर्वज प्रसन्न होंगे बल्कि भोलेनाथ का आशीर्वाद भी प्राप्त होगा। जीवन की बाधाएं दूर होंगी और घर में सुख-समृद्धि का वास होगा।
पहला उपाय- शिवलिंग पर जल और काले तिल चढ़ाएं
पितृपक्ष के प्रदोष (Pradosh) में शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल चढ़ाते समय उसमें काले तिल जरूर मिलाएं। यह तिल पितरों को तृप्त करने वाला माना गया है। इस उपाय से पूर्वज आशीर्वाद देते हैं और घर में दरिद्रता दूर होती है।
दूसरा उपाय- पीपल के नीचे दीपक जलाएं
प्रदोष (Pradosh) की शाम पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ होता है। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और शिव कृपा भी बरसती है। यह उपाय पितृ दोष शांत करने के लिए भी कारगर माना गया है।
तीसरा उपाय- गरीब और ब्राह्मण को भोजन कराएं
श्राद्ध कर्म के साथ प्रदोष तिथि पर गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना विशेष पुण्यदायी है। कहा जाता है कि इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है और भगवान शंकर साधक को दीर्घायु और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
चौथा उपाय- महामृत्युंजय मंत्र का जाप
प्रदोष काल में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पितर शांति को प्राप्त करते हैं। साथ ही यह मंत्र व्यक्ति की आयु बढ़ाने और कष्टों को दूर करने वाला माना गया है।
			
			








