हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रदोष काल में आने वाली त्रयोदशी तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस तिथि पर भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत (Pradsoh Vrat) रखा जाता है। धार्मिक ग्रंथों में प्रदोष व्रत (Pradsoh Vrat) को बहुत उत्तम माना गया है। इस दिन भगवान शिव की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।
ऐसे में शुक्र प्रदोष व्रत (Pradsoh Vrat) के दिन कुछ खास उपाय कर लिए जाएं, तो जीवन की कई परेशानियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं।
प्रदोष व्रत (Pradsoh Vrat) शुभ मुहूर्त
फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी 22 मार्च को प्रातः 04:44 बजे शुरू होगी। यह तिथि 23 मार्च को सुबह 07 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में प्रदोष व्रत 22 मार्च, शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ समय शाम 6 बजकर 34 मिनट से रात 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। यह व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
सभी समस्याएं होंगी खत्म
शुक्र प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद भगवान शिव के सामने दीपक जलाएं। इसके बाद शाम को प्रदोष व्रत की पूजा शुरू करें और गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं।
चंद्रमा को करें मजबूत
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, तो उस व्यक्ति को शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद अपने माथे पर चंदन का तिलक भी लगाएं। इस प्रकार कुंडली में चंद्रमा की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।
मान-सम्मान में होगी वृद्धि
माना जाता है कि शिवलिंग पर दही चढ़ाने से जीवन में स्थिरता बनी रहती है। शिवलिंग पर गाय का घी चढ़ाने से बल में वृद्धि होती है। यह भी माना जाता है कि यदि शिवलिंग पर चंदन लगाया जाए, तो व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है।