हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव, भक्त जन्माष्टमी के रूप में हर वर्ष पर्व की तरह मनाते हैं. देश ही नहीं विदेशों में भी इस दिन का महत्व विशेष होता है, जहां भगवान कृष्ण के भक्त भव्य झांकियां निकालते हैं और उनकी आराधना करते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव हर वर्ष भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाए जाने का विधान है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, अगस्त-सितंबर के महीने में पड़ता है.
इस बार ये पर्व 30 अगस्त (सोमवार) को हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस दिन भक्त व्रत करते हुए, रातभर भगवान की आराधना करेंगे और फिर पारण मुहूर्त के अनुसार, भगवान को भोग लगाते हुए अपना व्रत खोलने की परंपरा निभाएंगे.
हिन्दू शास्त्रों में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को ‘व्रतराज’ की उपाधि दी गई है, जिसके अनुसार माना गया है कि इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को साल भर के व्रतों से भी अधिक शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसे में अगर आप भाी इस साल जन्माष्टमी का व्रत रखने का सोच करे हैं तो इन सामग्रियों को पूजा में जरूर शामिल करें. यहां देखें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट, पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त और समय
श्री कृष्ण जन्माष्टमी- 30 अगस्त (सोमवार)
निशीथ पूजा मुहूर्त- रात 23:59:27 बजे से रात 24:44:18 बजे तक
अवधि- 44 मिनट
जन्माष्टमी पारण मुहूर्त- 31 अगस्त को सुबह 05:57:47 बजे के बाद
पूजा सामग्री लिस्ट
– बालगोपाल के लिए झूला
– बालगोपाल की लोहे या तांबे की मूर्ति
– बांसुरी
– बालगोपाल के वस्त्र
– श्रृंगार के लिए गहने
– बालगोपाल के झूले को सजाने के लिए फूल
– तुलसी के पत्ते
– चंदन
– कुमकुम
– अक्षत
– मिश्री
– मक्खन
– गंगाजल
– धूप बत्ती
– कपूर
– केसर
– सिंदूर
– सुपारी
– पान के पत्ते
– पुष्पमाला
– कमलगट्टे
– तुलसीमाला
– धनिया खड़ा
– लाल कपड़ा
– केले के पत्ते
– शहद
– शकर,
– शुद्ध घी
– दही
– दूध
जन्माष्टमी पूजन विधि
जन्माष्ठमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें. माता देवकी और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें. पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा देवताओं के नाम जपें. रात्रि में 12 बजे के बाद श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं. पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें और लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं. पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं. इसके बाद आरती करके प्रसाद को भक्तजनों में वितरित करें.