नई दिल्ली। भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने ओडिशा के तट पर तीन अप्रैल 2024 की रात में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षण बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। इस मिसाइल का नाम है अग्नि-प्राइम (Agni-Prime)। यह मिसाइल हल्के मटेरियल से बनाई गई है। यह अग्नि-1 मिसाइल की जगह लेगी।
यह अगली पीढ़ी की मिसाइल है। यानी नेक्स्ट जेनरेशन। अग्नि-प्राइम (Agni-Prime ) का रात में परीक्षण डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड पर किया गया। मिसाइल ने टेस्ट के दौरान सभी मानकों को पूरा किया। अग्नि सीरीज की मिसाइलों में से ये बेहद घातक, आधुनिक और मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल हैं।
इस मिसाइल को भारत की स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड के तहत संचालित किया जाएगा। इसे अग्नि-पी (Agni-P) नाम से भी बुलाते हैं। 34.5 फीट लंबी मिसाइल पर एक या मल्टीपल इंडेपेंडटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) वॉरहेड लगा सकते हैं। यानी एकसाथ कई टारगेट्स पर हमला कर सकते हैं।
1500-3000 kg वजन के वॉरहेड लगा सकते हैं
यह मिसाइल उच्च तीव्रता वाले विस्फोटक, थर्मोबेरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। मिसाइल की नाक पर 1500 से 3000 kg वजन के वॉरहेड लगा सकते हैं। यह दो स्टेज के रॉकेट मोटर पर चलने वाली मिसाइल है। इस मिसाइल का वजन 11 हजार kg है। यह सॉलिड फ्यूल से उड़ने वाली मिसाइल है।
गौरव वल्लभ का हुआ कांग्रेस से मोह भंग, पार्टी के सभी पदों से दिया इस्तीफा
तीसरा स्टेज MaRV है यानी मैन्यूवरेबल रीएंट्री व्हीकल। यानी तीसरे स्टेज को दूर से नियंत्रित करके दुश्मन के टारगेट पर सटीक हमला कर सकते हैं। इसे बीईएमएल-टट्रा ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर से दागा जाता है। इसे तब बनाया गया जब चीन ने डीएफ-12डी और डीएफ-26बी मिसाइलें बनाईं। इसलिए भारत ने एरिया डिनायल वेपन (Area Denial Weapon) के तौर पर इस मिसाइल को बनाया।