पहाड़ों पर हुई बर्फबारी के चलते कड़ाके की ठंड शुरू हो गई है। वाराणसी में भी शीतलहर ने लोगों को परेशान करना शुरू कर दिया है। बढ़ती ठंड का असर यहां के मंदिरों में भी में दिखाई देने लगा है। इन दिनों मंदिरों में भगवान भी ठंड से बचने के लिए स्वेटर और शॉल पहन भक्तों को दर्शन दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में पारा लगातार लुढ़कता ही जा रहा है। इसी का असर वाराणसी के मंदिरों में भी दिखने लगा है। जहां भगवान को ठंड से बचाने के लिए सारे जतन किए जा रहे हैं। कहीं भगवान राम, लक्ष्मण, मां सीता, भरत और शत्रुघ्न सहित हनुमान जी को ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं, तो वही गणेश जी को रजाई ओड़ाई गई है।
इतना ही नहीं साईं बाबा को ऊनी टोपी के साथ शॉल भी ओढे देखा जा सकता है। वाराणसी के लोहटिया इलाके में स्थित प्राचीन बड़ा गणेश मंदिर में बड़े गणेश जी की मूर्ति को गर्म कंबल से ढका गया है, तो वहीं उनके सिर पर एक टोपी भी पहनाई गई है।
बड़ा गणेश मंदिर के बाहर भगवान राम जानकी मंदिर में तो राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और माता सीता सहित हनुमान जी को भी रंग बिरंगी टोपियां और ऊनी वस्त्र धारण कराए गये हैं। मंदिर में दर्शन करने आए वाराणसी के ही भरत कुमार अग्रहरि ने बताया कि ठंड और शीतलहर शुरू हो चुकी है, जिससे बचने के लिए ऊनी वस्त्र पहने जा रहा हैं और उसी तरह भगवान को भी ऊनी वस्त्र पहनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि जब इंसान को ठंड लगती है तो भाव की पूजा के चलते भगवान को भी जरूर ठंड लगती होगी। जिससे बचाने के लिए शॉल, स्वेटर और गर्म कपड़े भगवान को पहनाए जाते हैं।
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आगरा से काशी दर्शन पूजन करने आई रितु प्रकाश ने बताया कि बदलते मौसम में पूजा करना ही काफी नहीं होता। जैसे हम हैं उसी तरह भगवान भी हैं। चाहे सर्दी हो या गर्मी, भगवान को भी सारी चीजें महसूस होती हैं। जैसे हम ठंड से बचने के लिए ऊनी वस्त्र पहने हैं उसी तरह भगवान को भी ऊनी वस्त्र धारण कराए जाने चाहिए। भले ही वह जगत के पालनहार ही क्यों ना हो, लेकिन प्रकृति सबके लिए एक जैसी है, इसलिए भगवान को भी ठंड लगती है।
तो वही आगरा से ही आई रुचिका ने भी बताया कि जैसे हम रहते हैं उसी तरह भगवान भी हैं। बदलते मौसम के साथ भगवान के लिए भी इंतजाम करना जरूरी है। जब भगवान हमको छत्रछाया दे सकते हैं तो भक्त का भी कर्तव्य बनता है कि वह भी भगवान के लिए कुछ करें। इसलिए भगवान को भी ठंड के दिनों में स्वेटर और रजाई में रखना जरूरी है।
बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने बताया कि कार्तिक मास की बैकुंठ चतुर्दशी से भगवान को ऊनी वस्त्र धारण करा दिया जाता हैं, जो बसंत पंचमी तक पहनाये जाते हैं। काशी के अंदर सभी देवालयों में भगवान को गर्म कपड़े पहनाये जाते हैं। क्योंकि भाव की पूजा होती है। जैसे हम गर्म कपड़े पहनते हैं वैसे ही यह मानकर कि भगवान को भी ठंड लगती होगी हम उनको गर्म कपड़े पहनाते हैं। उन्होंने बताया कि जो जगत के पालनहार हैं उन्हें भला क्या दिक्कत होती होगी, लेकिन भक्त होने के नाते और भाव की पूजा के चलते हम उन्हें गर्म कपड़े पहनाते हैं।
बड़ा गणेश मंदिर के बाहर ही राम जानकी मंदिर के पुजारी देवेंद्र चौबे ने भी बताया कि गर्मी के मौसम में भगवान को सूती वस्त्र पहनाये जाते हैं। वैसे ही ठंडी के मौसम में उन्हें ऊनी वस्त्र भी पहनाये जाते हैं। चूंकि ठंड बढ़ रही है, इसलिए भगवान को भी ठंडी से बचाने के लिए ऊनी वस्त्र पहनाये गए हैं। उन्होंने बताया कि भगवान को भी गर्मी के मौसम में गर्म तो ठंडी के मौसम में ठंडी लगती है ऐसी भावना होती है। और ज्यादा ठंड पड़ने पर कंबल से लेकर ब्लोअर तक की व्यवस्था की जाती है