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खाने की इन चीजों को पकाकर ही खाएं, वरना शरीर में पहुंच सकता है कीड़ा 

benefit of cabbage

benefit of cabbage

खाने पीने की चीजों में अक्सर एक ऐसा कीड़ा होता है, जो खतरनाक हो सकता है। इसे टेपवर्म यानि फीताकृमि के नाम से भी जानते हैं। ये खाने के साथ पेट में, आंतों में और फिर ब्लड फ्लो के मस्तिष्क तक पहुंच सकता है।

आमतौर पर लोग मानते हैं कि ये कीड़ा पत्ता गोभी में होता है लेकिन हकीकत ये है कि ये कई खाने पीने की चीजों में होता है, लिहाजा जब भी इन चीजों का खाएं तो अच्छी तरह उबालकर और पकाकर ही खाएं।

टेपवर्म जानवरों के मल में पाया जाता है, वहीं से ये पानी के ज़रिए जमीन में और फिर वहां से कच्ची और अधपकी सब्जियों या अधपके एनिमल प्रोडक्ट्स के जरिए हमारे शरीर में पहुंच सकता है।

पालक

टेपवर्म का लार्वा {Tapeworm larvae (eggs)} पालक में भी पाया जाता है। क्योंकि ये पेड़ पर न उगकर, सीधा ज़मीन में उगता है। जिसे सीधा ज़मीन से उखाड़कर खाने, सलाद में इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इससे बनी सब्जी के कम पके होने या कच्चा खाने पर टेपवर्म का लार्वा शरीर में जाने का डर बना रहता है।

मछली

मछली में Diphyllobothrium टेपवर्म पाया जाता है, ये टेपवर्म की एक जींस है। मछली से टेपवर्म ह्यूमन बॉडी में जाने के चांसेज तब ज्यादा होते हैं, जब मछली को अधपका खाया जाता है। इस तरह के टैपवार्म पानी के उन मेजबानों में पनपते हैं, जो पीनी के छोटे जीवों समते मछली को भी खा जाते हैं।

पोर्क

पोर्क में भी टेपवर्म और उसका लार्वा पाया जाता है। इसलिए इसे अच्छी तरह पकाकर खाए जाने की हिदायत भी दी जाती है। चीन में एक केस सामने आया था, जिसमें एक शख्स का शरीर ‘सुशी’ (चाइनीज डिश, जिसमें नॉनवेज भी डलता है) की बड़ी मात्रा में सेवन के बाद टेपवर्म से “छलनी” गो गया था। पोर्क टेपवर्म Taeni solium नाम से भी जाना जाता है।

बीफ

बीफ में पाया जाने वाला टेपवर्म भी इसे अधपका खाने से ही मानव शरीर में पहुंचता है। हालांकि ये उन्हीं जानवरों से जाता है, जो इन्फेक्टेड होते हैं। मवेशी टेनिया सैगिनाटा (T saginata) कैरी करते हैं। जब ह्यूमन ये इन्फेक्टेड मीट खाते हैं तो इससे सबसे पहले आंतों पर फर्क पड़ता है।

फूल गोभी

पत्ता गोभी वाला कीड़ा टेपवर्म फूल गोभी में भी पाया जाता है। क्योंकि वह भी ज़मीन में ही उगती है। पत्ता गोभी को इंग्लिश में CABBAGE और फूल गोभी को cauliflower कहते हैं। ये दोनों गोभी एक ही प्रजाती की सब्जी से बनी हैं। इसमें टेपवर्म की जो प्रजाति होती है उसे Taeni solium नाम से जाना जाता है।

हरा धनिया

हरे धनिये में भी पत्ता गोभी वाला कीड़ा टेपवर्म पाया जाता है। टेपवर्म से होने वाला इन्फेक्शन टैनिएसिस (taeniasis) कहलाता है। शरीर में जाने के बाद, ये कीड़ा अंडे देता है। जिससे शरीर के अंदर जख्म बनने लगते हैं। इस कीड़ें की तीन प्रजातियां टीनिया सेगीनाटा, टीनिया सोलिअम और टीनिया एशियाटिका होती हैं।

केल

केल भी गोभी की एक किस्म है। ये फूल और पत्ता गोभी के खाद्य पत्तों से उगाई जाती है। इसमें भी टेपवर्म पाया जाता है। ये कीड़ा लीवर में पहुंचकर ये सिस्ट बनाता है, जिससे पस हो जाता है। ये आंखों में भी आ जाते हैं। ये कीड़े हमारे पेट के आहार को ही अपना भोजन बनाते हैं। जिस व्यक्ति के दिमाग में पहुंचते हैं उसे दौरे पड़ने लगते हैं। शुरुआत में इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। लेकिन सिर दर्द, थकान, विटामिन्स की कमी होना जैसे लक्षण दिखाई देते है। दिमाग में अंडों का प्रेशर इस कद्र बढ़ता है कि दिमाग काम करना बंद कर देता है।

ब्रोकली-

ब्रोकली भी गोभी की किस्म के परिवार की एक सब्जी है। इसका भी फूल खाया जाता है। और ब्रोकली में भी टेपवर्म का लार्वा पाया जाता है। आपको बता दें कि एक टेपवर्म की लंबाई 3.5 से 25 मीटर तक हो सकती है। इसकी उम्र 30 साल तक होती है। इस कीड़े के इलाज के तौर पर वे दवाएं दी जाती हैं, जिससे ये मर जाए। या फिर सर्जरी भी की जा सकती है। इस कीड़ें की 5 हजार से ज्यादा प्रजातियां बताई जाती हैं।

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