नई दिल्ली। भारत ने चीन की हरकतों का करारा जवाब दिया है। भारत ब्रह्मपुत्र नदी पर देश का सबसे लंबा पुल बना रहा है। इस पुल के निर्माण से आशियान यानी दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन के सदस्यों को लाभ होगा। इनमें म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया व लाओस शामिल हैं। 19 किलोमीटर लंबा धुबरी-फुलबारी पुल असम के धुबरी और मेघालय के फुलबारी को जोड़ेगा। ये उसकी छह प्रस्तावित पुल परियोजनाओं में से एक है।
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इससे भूटान, पूर्वोत्तर भारत तथा वियतनाम आपस में जुड़ जाएंगे। यह न सिर्फ भारत और जापान के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक होगा, बल्कि क्षेत्र में चीन की बढ़ती पैठ को भी संतुलित करेगा। इसका आखिरी किनारा भूटान में होगा। वर्ष 2018 में पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचा के विकास के लिए भारत व जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के बीच हुए करार के बाद पुल के निर्माण की सरगर्मी तेज हुई थी।
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भारत दो कॉरिडोर को जोड़ने का प्रयास में है। इनमें भारत की तरफ से शुरू किए गए भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय हाईवे और ईस्ट-वेस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर शामिल हैं। ईस्ट-वेस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर की पहल जापान ने थाईलैंड, लाओस व वियतनाम के साथ मिलकर की है।
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भारत की तरफ से बात करें तो इस त्रिपक्षीय हाईवे की शुरुआत मणिपुर के सीमावर्ती शहर मोरेह से होगी। म्यांमार में प्रवेश करने के बाद मांडलया की तरफ जाएगा जो ऐतिहासिक शहर है। यह इर्रावड्डी नदी के तट पर स्थित है और 471 किलोमीटर दूर है। इसके बाद सड़क थाईलैंड की सीमा की तरफ बढ़ जाएगी। इस क्रम में म्यांमार का आखिरी शहर म्यावड्डी होगी।