लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय के जॉइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह ने भी राजनीति में एंट्री कर ली है। राजेश्वर सिंह का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) का अनुरोध केंद्र सरकार ने स्वीकार कर लिया है।
इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर पत्र शेयर कर दी है। उन्होंने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्ड़ा और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आभार व्यक्त किया है।
जल्द ही राजेश्वर सिंह के भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने की तैयारी है, इसके बाद वह गृह जनपद सुल्तानपुर से चुनाव लड़ सकते हैं। राजेश्वर सिंह ने करीब 24 वर्षों की सरकारी सेवा के बाद राजनीति में आने का निर्णय लिया है। राजेश्वर सिंह 10 वर्ष तक यूपी में पीपीएस अधिकारी रहे। ED में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में आने के बाद उन्होंने बहुचर्चित 2G घोटाले, अगस्ता वैस्टलैंड हेलीकॉप्टर डील, एयरसेल मैक्सिस घोटाले की जांच की थी। इसमें उनको कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।
यूपी के जोनल ऑफिस का जॉइंट डायरेक्टर बनने के बाद उन्होंने खनन, स्मारक घोटाला, गोमती रिवर फ्रंट घोटाला की जांच की। ईडी में अपने कार्यकाल के दौरान घोटालेबाजों की करीब चार हजार करोड़ से अधिक की संपत्तियों को जब्त किया। उनकी पत्नी लक्ष्मी सिंह लखनऊ रेंज की पुलिस महानिरीक्षक हैं। उनके परिवार के कई सदस्य केंद्र और यूपी सरकार में वरिष्ठ पदों पर हैं।
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राजेश्वर सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मेरी वीआरएस की अपील को भारत सरकार ने स्वीकार कर लिया है और मैं जल्द ही राजनीति में कदम रखूंगा। सूत्रों के अनुसार राजेश्वर सिंह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। राजेश्वर सिंह ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह,भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प लिया है। मैं भी इस मिशन में योगदान देना चाहता हूं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाना चाहता हूं’।
पुलिस सेवा से ईडी में शामिल
राजेश्वर सिंह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के पखरौली के रहने वाले हैं। उनके पास बी.टेक की डिग्री है। साथ ही साथ राजेश्वर सिंह ने पुलिस, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय विषय में पीएचडी की है। साल 1996 बैच के PPS अधिकारी (Provisional Police Service) होने के साथ-साथ वो यूपी पुलिस के अधिकारी के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
साल 2009 में वो प्रवर्तन निदेशालय में शामिल हुए। छह साल बाद यानी 2015 में उन्हें स्थाई तौर पर ईडी के कैडर में शामिल कर दिया गया। फिर वो ईडी लखनऊ जोन के संयुक्त निदेशक भी बनाए गए। ईडी में शामिल होने के बाद ही उनका नाम हाई प्रोफाइल मामलों से जुड़ता चला गया।