ईद मिलाद उन नबी (Eid-e-Milad) पर्व रविवार 9 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस पर्व का इस्लाम धर्म में बेहद खास महत्व है। बता दें कि लोग इस पर्व को पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन के तौर पर मनाते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, ईद मिलाद उन नबी को रबी-उल-अव्वल के 12वें दिन मनाया जाता है। आपको बता दें कि इस दिन लोग पैगंबर मोहम्मद के जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए जुलूस भी निकालते हैं। आज हम आपको इस पर्व के इतिहास और महत्तव के बारे में बताएंगे।
ईद मिलाद उन नबी (Eid-e-Milad) का इतिहास
इस पर्व को ईद-ए-मिलाद (Eid-e-Milad)के ना से भी जाना जाना है। इस्लाम धर्म के मुताबिक पैगंबर मुहम्मद का जन्म अरब के मक्का शहर में 571 ईस्वी में हुआ था। बताया जाता है कि मोहम्मद साहब जब 6 साल के थे, तो उनकी मां का इंतकाल हो गया था। जिसके बाद उनके अबू तालिब और दादा अबू मुतालिब ने पैगंबर मोहम्मद की परवरिश की। इस्लाम धर्म में ये मान्यता है कि अल्लाह ने ही सबसे पहले पैगंबर मोहम्मद को कुरान अता की थी। जिसके बादपैगंबर मोहम्मद ने पवित्र कुरान के संदेश दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाया।
क्या है इस पर्व (Eid-e-Milad) का महत्व
आपको बता दें कि इस दिन रात भर अल्लाह की इबादत की जाती है। घरों और मस्जिदों में पवित्र कुरान को पढ़ा जाता है। बता दें कि इस पर्व वाले दिन पैगंबर मोहम्मद के संदेशों को पढ़ा जाता है। उन्होंने संदेश दिया था कि मानवता को मानने वाला इंसान ही महान होता है। इसलिए इंसान को हमेशा मानवता की राह पर ही चलना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ईद मिलाद उन-नबी वाले दिन दान और जकात करने से अल्लाह खुश होते हैं।
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कैसे मनाते हैं पर्व (Eid-e-Milad)
ईद मिलाद उन नबी (Eid-e-Milad) वाले दिन नमाजों और संदेशों को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों को दान भी दिया जाता है। उन्हें भोजन करवाया जाता है। बता दें कि इस दिन जो लोग मस्जिद नहीं जा पाते, वो अपने घर में कुरान पढ़ते हैं। इस्लाम में मान्यता है कि ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के दिन कुरान का पाठ करने से अल्लाह का रहम बरसता है।