लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के साथ तीन दिसम्बर को हुए समझौते का क्रियान्वयन नहीं किये जाने और निजीकरण को बढावा देने का आरोप लगाते हुये बिजली कर्मचारियों ने 16 मार्च से 72 घटे की हड़ताल (Strike) की चेतावनी दी है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने शुक्रवार को कहा कि समिति के आह्वान पर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर, अभियन्ता एवं निविदा/संविदा कर्मचारी आगामी 16 मार्च की रात 10 बजे से 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल (Strike) करेंगे।
उन्होने बताया कि संघर्ष समिति की लखनऊ में हुई बैठक में समझौते का क्रियान्वयन न होने तथा उत्पादन निगम और पारेषण में बड़े पैमाने पर निजीकरण का निर्णय लिये जाने के विरोध में हड़ताल का निर्णय लिया गया है। 72 घण्टे की सांकेतिक हड़ताल के पहले 14 मार्च को लखनऊ समेत अन्य जिलों एवं परियोजना मुख्यालयों पर शान्तिपूर्वक मशाल जुलूस निकाले जायेंगे।
संघर्ष समिति की मांग है कि तीन दिसम्बर के समझौते का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाये। ओबरा व अनपरा में स्थापित की जा रही नई बिजली परियोजनायें उत्पादन निगम को दी जायें। पारेषण के नये बनने वाले सभी विद्युत उपकेन्द्रों एवं लाइनों का कार्य यूपी पावर ट्रांस्को को दिया जाये, वर्ष 2000 के बाद में सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन की व्यवस्था लागू की जाये और बिजली निगमों का एकीकरण कर यूपीएसईबी लि का गठन किया जाये।
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संघर्ष समिति द्वारा ऊर्जा निगमों के चेयरमैन को दी गयी नोटिस में कहा गया है कि तीन दिसम्बर को ऊर्जा मंत्री एवं मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी के साथ हुए लिखित समझौते के प्रति ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के नकारात्मक रवैये और उत्पादन निगम तथा पारेषण में बड़े पैमाने पर निजीकरण किये जाने के फैसले से बिजली कर्मियों में भारी रोष व्याप्त है।