आजकल जहां स्मार्ट मोबाइल और लैपटॉप का अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है बता दें कि लगभग हर हेडफोन में हाई डेसीबल वेब्स होते हैं। इसका इस्तेमाल करने से आप हमेशा के लिए अपनी सुनने की क्षमता खो सकते हैं। इसके लगातार प्रयोग से सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसीबेल तक कमी आ जाती है। जिससे कान का पर्दा वाइब्रेट होने लग जाता है। दूर की आवाज सुनने में परेशानी होने लगती है। इस कारण बहरापन होने की सम्भावना होती है। इसलिए आप 90 डेसीबल से ज्यादा आवाज में गाने नहीं सुनने चाहिए। इसके अलावा ईयरफोन से गाने सुनने के दौरान समय-समय पर ब्रेक भी लेते रहें।
इसके लगातार इस्तेमाल से दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। हेडफोन से निकलने वाली विधुत चुंबकीय तरंगे दिमाग के सेल्स को काफी क्षति पहुंचाती हैं। हेडफोन के अत्यधिक प्रयोग से कान में दर्द, सिर दर्द या नींद ना आने की समस्याएं हो सकती हैं। आज लगभग पचास प्रतिशत युवाओं में कान की समस्या का कारण हेडफोन का अत्याधिक उपयोग है।
हेडफोन से लंबे समय तक गाना सुनने से कान में इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। जब भी किसी के साथ हेडफोन शेयर करें तो उसे सेनिटाइजर से साफ करना नहीं भूलना चाहिए आमतौर पर कान 65 डेसिबल की ध्वनि को ही सहन कर सकता है लेकिन हेडफोन पर अगर 90 डेसिबल की ध्वनि 40 घंटे से ज्यादा सुनी जाए तो कान की नसें प्रभावित होती है।
तेज आवाज में संगीत सुनने से मानसिक समस्याएं तो पैदा होती ही है साथ ही हृदय रोग और कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ बीमारियां सामने आने लगती है। कान के बाहरी भाग के परदे को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अंदरूनी हेयरसेल्स को भी तकलीफ पहुंचाता है। इनके ज्यादा उपयोग लेने से कानों में अनेक प्रकार की समस्या हो सकती है जिनमें कान में छन-छन की आवाज आना, चक्कर आना, सनसनाहट, नींद न आना, सिर और कान में दर्द होने की समस्या हो जाती है।