अवैध रूप से स्प्रिट और कैमिकल मिला कर अवैध रूप से नकली डीजल और पेट्रोल बना रहे गैंग का भांडाफोड़ करते हुये पुलिस , जिला प्रशासन समेत आबकारी विभाग की टीमों ने बड़ी मात्रा में नकली माल बरामद किया है।
रविवार को पुलिस ठाकुरगंज इलाके के लालाबाग में चल रही नकली डीजल-पेट्रोल बनाने की अवैध फैक्ट्री पर पुलिस, आबकारी व उद्योग विभाग की संयुक्त टीमों ने छापेमारी कर नकली डीजल व पेट्रोल के 190 ड्रम, 189 खाली ड्रम और स्प्रिट के छोटे ड्रम जब्त किये हैं। टीम को मौके पर 525 लीटर स्पिट, 28 हजार लीटर नकली पेट्रोल व डीजल और 420 लीटर नकली मोबिल आॅयल जब्त किया है। छापेमारी के दौरान 2 चार पहिया और 4 दो पहिया वाहन भी मौके पर जब्त किये गये हैं।
जिला आबकारी अधिकारी ने सुशील कुमार मिश्र ने बताया कि इस अवैध फैक्ट्री के बारे में कुछ दिन पहले सूचना मिली थी। इसी सूचना के आधार पर टीम ने रविवार को छापेमारी के लिए प्लान किया था। कि उनकी टीम जैसे ही मौके पर पहुंची वहां पर अफरा-तफरी मच गयी। उन्होंने बताया कि जब्त की गयी सामग्री लगभग 50 लाख रुपये की है। उन्होंने बताया कि उनकी टीमें अभी भी कई अन्य जगह छापेमारी कर रही है।
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उनकी टीम हिम्मत सिंह, उमेश द्विवेदी कीर्ति प्रकाश तथा आबकारी सिपाही शामिल रहें। जबकि दूसरी और एसीपी चौक ने बताया कि पुलिस कमिश्नर ठीके ठाकुर की सूचना के बाद ठाकुरगंज थाना प्रभारी ने काकोरी पुलिस टीम के साथ मिलकर छापेमारी की थी। जिसमें फिरोजाबाद के रामू नामक युवक की तलाश की जा रही थी। लेकिन भारी मात्रा में कैमिकल और स्प्रिट मिलने पर अन्य विभागों को सूचना दी गयी।
कम कीमत होने पर हाथों-हाथ बिकता था माल
एसीपी चौक के अनुसार मिलावट वाला डीजल जहां 60 रुपये तो वहीं पेट्रोल 70 रुपये में बेचा जाता था। ग्रार्मीण इलाकों में और छोटे-छोटे कस्बों में बोतलों और प्लास्टिक के जार में भर कर इसे बेचा जाता है। जिसकी पहचान न होने पर लोग इसे खरीद कर गाड़ियों में डलावा लेते थे। सस्ती कीमत होने के कारण लोग इसे फौरन खरीद लेते थे। अधिकारियों ने बताया कि इसे गाड़ियों में डालने से इंजन को बहुत नुकसान पहुंचता है। कभी-कभी इंजन सीज तक हो जाता है। इसके अलावा जिस गाड़ी में यह नकली आॅयल पड़ता है उससे निकलने वाला धुंआ भी वायू प्रदूषण बढ़ाता है।
जिम्मेदार विभाग मौन
डीजल और पेट्रोल जैसे ज्वलंशील पदार्थों में मिलावट का खेल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने वाला विभाग अपने आंख और कान बंद किये बैठा है। जबसे कोटेदारों के यहां से मिट्टी तेल का वितरण बंद हुआ है, तब से लेकर आज तक शायद ही इस विभाग ने कहीं पर छापेमारी कर ज्वलंशील पदार्थों में मिलावट के खेल को उजागर किया हो। वहीं आबकारी विभाग भी जानकारी होने के बावजूद आंख बंद करके बैठा है। जब कोई घटना घटती है तो जिम्मेदार अधिकारी नींद से जागते है।