हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि बड़ी पावन और विशेष मानी गई है। साल में 12 अमावस्या की तिथियां पड़ती हैं। फाल्गुन महीने में पड़ने वाली अमावस्या फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) कहलाती है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु का पूजन का विधान है। साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितर धरती लोक पर आते हैं। इस दिन तर्पण और पिंडदान करने पितर मोक्ष प्राप्त करते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से पृत दोष से भी मुक्ति मिल जाती है। पितरों के आशीर्वाद से घर में सुख-शांति और खुशहाली आती है। फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान दान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि फाल्गुन अमावस्या कब है। इस दिन स्नान-दान का शुभ मुहूर्त क्या है।
फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) 2025 कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर हो जाएगी। इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 28 फरवरी को सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में फाल्गुन अमावस्या 27 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान-दान भी किया जाएगा।
फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) शुभ मुहूर्त
फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 9 मिनट से शुरु होगा। ये मुहूर्त 5 बजकर 58 मिनट पर खत्म हो जाएगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 7 मिनट से शुरू होगा। ये मुहूर्त शाम 6 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। निशिता मुहूर्त रात 12 बजकर 8 मिनट से शुरू होगा। ये मुहूर्त देर रात 12 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान शुभ
फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान के लिए सबसे शुभ ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में डुबकी लगाने से अधिक और विशेष पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद दान-पुण्य करना चाहिए।
फाल्गुन अमावस्या (Falgun Amavasya) का महत्व
फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान के बाद सूर्यदेव को जल देना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-दान करने वालों को सभी पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।