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फाइनल के छात्रों पर बीएड प्रवेश का संकट, नहीं मिली फाइनल की मार्कशीट

मेरठ| मेरठ में कोरोना संक्रमण के बीच हुए बीएड एंट्रेंस में पेपर दे चुके स्नताक-स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के छात्रों पर प्रवेश का संकट छा गया है। काउंसिलिंग के वक्त इन छात्रों को मार्कशीट प्रस्तुत करनी होगी जबकि अभी तक किसी भी विवि में अंतिम वर्ष के पेपर नहीं हुए हैं। स्थितियां सामान्य होने पर अंतिम वर्ष के पेपर 30 सितंबर तक कराते हुए 15 अक्तूबर तक रिजल्ट देने हैं। छात्रों के हाथों में मार्कशीट 30 अक्तूबर से पहले पहुंचना मुश्किल है। ऐसे में सरकार ने अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए लागू इस बाध्यता में छूट नहीं दी तो पूरे प्रदेश में डेढ़ लाख छात्र पेपर देने के बाद भी प्रवेश से बाहर हो जाएंगे।

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बीएड में प्रवेश को दो वर्ष पहले तक फाइनल कर चुके छात्रों को ही अनुमति थी। पिछले वर्ष हाईकोर्ट के आदेशों पर अंतिम वर्ष का पेपर दे रहे छात्रों को भी एंट्रेंस देने की सशर्त छूट दी गई। इसमें छात्रों को काउंसिलिंग के वक्त मार्कशीट प्रस्तुत करनी होती है। यदि मार्कशीट नहीं है तो छात्र बीएड में प्रवेश नहीं ले सकते।

रविवार को हुए बीएड एंट्रेंस में प्रदेशभर में करीब डेढ़ लाख छात्र ऐसे हैं जो इस वक्त फाइनल ईयर में हैं, लेकिन कोरेाना संक्रमण के चलते अभी तक फाइनल के पेपर नहीं दे सके। सरकार ने एंट्रेंस करा दिया और उम्मीद है कि सितंबर तक काउंसिलिंग निपट जाएगी। वहीं, विश्वविद्यालयों में अभी फाइनल के पेपर भी शुरू नहीं हुए हैं। यूजीसी के निर्देशों के अनुसार विश्वविद्यालयों को 30 सितंबर तक पेपर कराते हुए 15 अक्तूबर तक रिजल्ट देने हैं। मार्कशीट प्रिंट होने, कॉलेज पहुंचने और फिर छात्रों को मिलने तक 30 अक्तूबर तक का समय लग सकता है। चूंकि सरकार ने बीएड में जल्दी प्रवेश प्रक्रिया कराकर सत्र शुरू करने के उद्देश्य से संक्रमण के बीच पेपर कराया है, ऐसे में काउंसिलिंग सितंबर में ही निपटने की उम्मीद है।

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कोरोना संक्रमण से परीक्षाओं में देरी और बीएड में इस वर्ष अंतिम वर्ष के आधार पर शामिल छात्रों को मार्कशीट की बाध्यता से यदि शासन ने राहत नहीं दी तो लाखों छात्र प्रवेश से बाहर हो जाएंगे। विवि प्रशासन के अनुसार शासन काउंसिलिंग के वक्त अंतिम वर्ष में शामिल हो रहे छात्रों को प्रोविजनली प्रवेश की छूट दे सकता है। ऐसे छात्र-छात्राओं को काउंसिलिंग में ही मार्कशीट देने की बाध्यता से छूट देनी पड़ेगी। वहीं, छात्र संगठन शासन तक यह बात पहुंचाने के लिए आंदोलन की तैयारी करने में जुट गए हैं।

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