नई दिल्ली| वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि वित्तीय संकट से जूझ रही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के लिए विशेष तरलता योजना के तहत 6,399 करोड़ रुपये के 15 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
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अर्थव्यवस्था को कोरोना के असर से उबारने के लिए हाल ही में घोषित 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज में ही वित्तीय संकटों में घिरे एनबीएफसी व एचएफसी के लिये विशेष तरलता योजना को भी पेश किया गया था। यह योजना एक जुलाई से शुरू हुई है। इसके तहत एनबीएफसी और एचएफसी के तरलता के अल्पकालिक संकट को दूर करने के लिये ऋणपत्रों की प्राथमिक व माध्यमिक बाजार दोनों से खरीद करने की मंजूरी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा कि एनबीएफसी और एचएफसी के लिए तरलता की स्थिति में सुधार करने के उद्देश्य से आत्मनिर्भर भारत राहत पैकेज के एक हिस्से के रूप में 30 हजार करोड़ रुपये की विशेष तरलता योजना की घोषणा की गयी थी।
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उन्होंने योजना के क्रियान्वयन की स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि सात अगस्त तक 6,399 करोड़ रुपये की कुल स्वीकृत राशि के साथ 15 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी गयी है। इनके अलावा 11,037 करोड़ रुपये के वित्तपोषण के लिए 37 अन्य आवेदन विचाराधीन हैं। आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों द्वारा सितंबर 2018 में भुगतान में चूक (डिफॉल्ट) करने के बाद एनबीएफसी और एचएफसी के समक्ष वित्तीय संकट खड़ा हो गया था। इसके बाद कोरोना महामारी ने इनकी चुनौतियों को और बढ़ा दिया। विशेष तरलता योजना के लिये भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड द्वारा गठित एक न्यास एसएलएस ट्रस्ट द्वारा जारी सरकारी गारंटी वाली विशेष प्रतिभूतियों को खरीद कर धन उपलब्ध करा रहा है। योजना का क्रियान्वयन भी एसएलएस ट्रस्ट के द्वारा किया जा रहा है। यह योजना तीन महीने के लिए खुली है।