एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट के जज पवन कुमार राय ने पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राम अचल राजभर, नौशाद अली, मेवा लाल गौतम और अतर सिंह राव को भगोड़ा घोषित किया है।
साथ ही इन सभी आरोपियों के खिलाफ गिरफ़्तारी वारंट भी जारी कर दिया है। बता दें कि 12 जनवरी 2018 को इन सभी आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 506, 507, 153a, 149 और पॉक्सो एक्ट के तहत चार्जशीट दाखिल हुई थी. आरोप है कि इसके बाद से ये सभी आरोपी न कोर्ट में पेश हुए और न ही जमानत करवाई।
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मंत्री स्वाति सिंह और बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह की बेटियों और परिवार की महिलाओं के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी का आरोप इन सभी पर है। इस मामले की एफआईआर हजरतगंज कोतवाली में दर्ज हुई थी. इससे पहले इस मामले में जमानत हाजिरी माफ़ी की अर्जी न देने पर विशेष कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामअचल राजभर, अतर सिंह, मेवालाल गौतम और नौशाद अली के खिलाफ ग़ैरज़मानती वारंट जारी किया था। बता दें कि इस विवाद के वक्त सिद्दीकी बसपा में थे जो बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।
ये है पूरा मामला
बता दें कि मंत्री स्वाति सिंह की सास तेतरा देवी ने 22 जुलाई 2016 को हज़रतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. उसके मुताबिक, राज्यसभा में बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें उनकी बेटी, बहू, नातिन समेत महिलाओं को पूरे सदन में गालियां दीं।
21 जुलाई को मायावती के बुलाने पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामअचल राजभर, मेवालाल आदि की अगुवाई में एकत्र भीड़ ने उनके पुत्र को फांसी देने की मांग के साथ ही परिवार की महिलाओं को गालियां दीं और अमर्यादित नारे लगाए।
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गौरतलब है कि तत्कालीन बीजेपी उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह ने बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर अमार्यादित टिप्पणी की थी. जिसके बाद ये पूरा बवाल हुआ था। बसपा के वरिष्ठ नेताओं ने दया शंकर सिंह की गिरफ़्तारी को लेकर हजरतगंज में जमकर प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन में दया शंकर सिंह की पत्नी, बेटी और मां को खुले मंच से अमर्यादित शब्दों के साथ संबोधित किया गया था।