उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोरोना से प्रदेश में हो रही मौतों पर गहरी संवेदना जताई है। उन्होंने कहा कि कोविड के कारण होने वाली हर मृत्यु दुखद है। सरकार इसके नियंत्रण के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने प्रदेश की नदियों में पाए जा रहे शवों पर कहा कि अंतिम संस्कार की क्रिया मृतक की धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप सम्मानित तरह से की जानी चाहिए। शवों का इस तरह नदियों में प्रवाहित करना पर्यावरण के अनुकूल नहीं है। उन्होंने अफसरों को निर्देश दिया कि इस संबंध में धर्मगुरुओं से संवाद किया जाए, लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए आर्थिक सहायता की जा रही है। ये बातें उन्होंने बुधवार को टीम-9 की बैठक में प्रदेश में कोविड की स्थिति की समीक्षा के दौरान कही।
मुख्यमंत्री योगी ने अफसरों को निर्देश दिया कि प्रदेश का एक भी नागरिक कोविड टीका-कवर से वंचित न हो, इसके लिए विशेष प्रबंध किया जाना आवश्यक है। निरक्षर, दिव्यांग, निराश्रित अथवा अन्य जरूरतमंद लोगों का टीकाकरण सुनिश्चित कराने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर पर टीकाकरण पंजीयन की सुविधा प्रदान करना सुविधाजनक होगा। इस संबंध में आवश्यक व्यवस्था की जाए। पंजीयन के लिए सीएससी पर अनावश्यक भीड़ इकट्ठी न हो, कोविड प्रोटोकॉल का पालन हो, यह सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने बैठक में अफसरों से चर्चा की और उन्हें निर्देश दिए।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट की नीति के अनुरूप सभी प्रदेशवासियों के जीवन और जीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जा रहे हैं। संक्रमण दर लगातार कम होती जा रही है जबकि रिकवरी दर हर दिन बेहतर हो रही है। विगत 24 घंटों में प्रदेश में 18,125 नए कोविड केस की पुष्टि हुई है, जबकि इसी अवधि में 26,712 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं।
वर्तमान में प्रदेश में 2,06,615 एक्टिव केस हैं, जो प्रदेश में संक्रमण के पीक 3.10 लाख से लगभग 1 लाख 4 हजार कम हैं। 30 अप्रैल से 11 मई के 11 दिनों में संक्रमण में आई यह कमी संतोषप्रद है। अब तक 13 लाख 40 हजार 251 प्रदेशवासियों ने कोविड को हराकर आरोग्यता प्राप्त की है।
बैठक में उन्होंने कहा कि कोविड टेस्टिंग के प्रति उत्तर प्रदेश प्रारंभ से ही एग्रेसिव नीति अपनाए हुए है। देश में सर्वाधिक टेस्ट करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश ही है। अब तक 4 करोड़ 51 लाख टेस्ट किए गए हैं। इनमें एक लाख आरटीपीसीआर टेस्ट सहित 2 लाख 45 हजार टेस्ट विगत 24 घंटो में किए गए हैं। प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग क्षमता को बढ़ाये जाने की कार्रवाई तेज की जाए। जनपदों को प्रतिदिन डेढ़ लाख सैंपल एकत्रित कर प्रयोगशालाओं को भेजने का लक्ष्य दिया जाए।
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वर्तमान में 1,52,725 लोग होम आइसोलेशन में उपचाराधीन हैं। इनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए टेलीकन्सल्टेशन के माध्यम से चिकित्सकीय परामर्श की व्यवस्था को और बेहतर किया जाए। चिकित्सकों की संख्या, फोन लाइन की संख्या में बढ़ोतरी की जरूरत है। निगरानी समितियों के माध्यम से होम आइसोलेशन के मरीजों और जरूरत के अनुसार उनके परिजनों को मेडिकल किट उपलब्ध कराई जाए। मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की सतत मॉनीटरिंग की जाए। सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से मरीजों से संवाद कर उन्हें मिल रही सुविधाओं की जांच कराई जाए।
ऑक्सीजन की मांग आपूर्ति और खर्च में संतुलन बनाने के लिए कराए जा रहे ऑक्सीजन ऑडिट के अच्छे परिणाम मिले हैं। एक सप्ताह पूर्व तक मेडिकल कॉलेजों में 300-350 मीट्रिक टन की मांग होती थी, सब वह खत कर 250-300 एमटी तक हो गई है। ऑक्सीजन वेस्टेज रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएं। बीते कुछ दिनों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में मांग बढ़ी है। इस संबंध में एसीएस होम के स्तर से आवश्यक कार्यवाही की जाए।
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कोरोना महामारी के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच ही ‘ब्लैक फंगस’ नाम की नई बीमारी का असर भी देखा जा रहा है। अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, राज्य स्तर पर गठित स्वास्थ्य विशेषज्ञों की परामर्शदात्री समिति से इस सम्बंध में विमर्श करें। इससे बचाव के लिए सावधानियां, लाइन ऑफ ट्रीटमेंट, तैयारियों आदि के बारे में मुख्यमंत्री कार्यालय को विस्तृत रिपोर्ट दी जाए।
कोविड मरीजों के लिए बेड बढ़ोतरी की दिशा में प्रयास और तेज किए जाने की आवश्यकता है। बीते 24 घंटो में चिकित्सा शिक्षा विभाग के विभिन्न अस्पतालों में 115 बेड, वाराणसी में डीआरडीओ अस्पताल में आईसीयू के 250 और लखनऊ के हज हाउस स्थित एचएएल हॉस्पिटल में आईसीयू के 100 बेड की बढ़ोतरी हुई है। जिलास्तर पर भी लगातार प्रयास हो रहे हैं। भविष्य की जरूरत को देखते हुए बेड बढ़ोतरी के लिए सभी विकल्पों पर ध्यान देते हुए कार्रवाई की जाए। चिकित्सा शिक्षा मंत्री स्तर से इसकी दैनिक समीक्षा की जाए।
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– ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की कार्रवाई तेजी से की जाए। स्वास्थ्य विभाग और मेडिकल एजुकेशन विभाग के अस्पतालों में स्थापित होने वाले प्लांट की कार्रवाई की दैनिक समीक्षा की जानी चाहिए। सहारनपुर में नए ऑक्सीजन प्लांट अगले दो दिन में चालू हो जाएंगे। चीनी विभाग द्वारा 75 जिलों में प्लांट स्थापना की कार्रवाई तेजी से की जा रही है। निजी क्षेत्र द्वारा भी ऑक्सीजन प्लांट स्थापित कराए जा रहे हैं, उन्हें नियमानुसार सभी आवश्यक सहूलियत प्रदान की जाए। कोविड के उपचार हेतु एयर सेपरेटर यूनिट, ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना आदि के संबंध में सांसद व विधायक निधि से सहयोग किया जा सकता है।
आंशिक कोरोना कर्फ्यू को दृष्टिगत रखते हुए रेहड़ी, पटरी, ठेला व्यवसायी, निर्माण श्रमिक, पल्लेदार आदि के भरण-पोषण की समुचित व्यवस्था की जाए। नगरीय क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से इनका संचालन किया जाए। अधिकांश जिलों में कम्युनिटी किचेन प्रारम्भ हो चुके हैं। इनकी संख्या और बढ़ाये जाने की जरूरत है। इस जारी में निजी स्वयंसेवी संस्थाओं से भी सहयोग प्राप्त करना उचित होगा।
‘सफाई, दवाई, कड़ाई, के मंत्र के अनुरूप प्रदेशव्यापी स्वच्छता, सैनिटाइजेशन का अभियान चल रहा है। इसे और प्रभावी बनाया जाए। लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। कोरोना कर्फ्यू को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
निराश्रित गौ आश्रय स्थलों में भूसा-चारा के पर्याप्त प्रबंध रखे जाएं। 500 से अधिक गौ वंश वाले गौ आश्रय स्थलों को गोबर गैस उत्पादन सहित ऊर्जा के नवीन केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में काम करने की अवश्यक्ता है। वाराणसी में एक मॉडल खड़ा किया गया है, गोरखपुर में भी प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार से भी इस संबंध में आवश्यक सहयोग प्राप्त होगा।