• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

क्षमा दें या दंड, कर्मभोग टलता नहीं है

Desk by Desk
23/08/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, नई दिल्ली, राजनीति, राष्ट्रीय, विचार
0
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

सियाराम पांडेय ‘शांत’

क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को अपराध। यह बात जितनी ठीक है, उतना ही बड़ा सच यह भी है कि क्षमा करने से समाज में सीधा होने का संदेश जाता है। गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि ‘अतिहिं सिंधाइहिं ते बड़ दोषू।’ अर्थात अत्यंत सरल होना भी व्यक्तित्व का सबसे बड़ा दोष है। दंड जरूरी है। इसके बिना लोग उदंड हो जाता है। क्षमा दे या दंड,कर्मभोग टलता नहीं है।

क्षमा याचना करना या न करना व्यक्ति का अपना विवेक है। उसे इसके लिए बाध्य नहीं किया जा सकता  लेकिन किसी से भी क्षमा मांगने की जरूरत ही क्यों पड़े, विचार तो इस पर होना चाहिए। वैसे भी क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। नीति कहती है कि जो झुकता है, वही भारी होता है और जो अड़ जाता है, वह टूटकर बिखर जाता है। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण अपने आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर उच्च न्यायालय द्वारा अवमानना के दोषी करार दिए जा चुके हैं। अदालत ने उन्हें  24 अगस्त तक  बिना शर्त क्षमा मांगने का अवसर दिया है लेकिन प्रशांत भूषण अपने बगावती रुख पर अड़े हुए हैं। प्रशांत भूषण का तर्क है कि उन्होंने अपने दोनों ट्वीट में जो कुछ भी लिखा है, वह आवेश आधारित नहीं है। उन ट्वीट के लिये क्षमा याचना करना धूर्तता और अपमानजनक होगा, जो मेरे वास्तविक विचारों को अभिव्यक्त करते थे और करते रहेंगे।

प्रणब मुखर्जी के निधन की अफवाह फैलाने वाला यूपी का शिक्षक निलंबित

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर उन्हें अपनी गलती का अहसास होगा तो वह बहुत नरम हो सकती है। इसका मतलब साफ है कि पीठ भी प्रशांत भूषण को सजा देने के नहीं बल्कि उन्हें उनकी गलती का अहसास कराने को लेकर गंभीर है। लेकिन जिसे मतिभ्रम हो जाए, उसका क्या? प्रशांत भूषण भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। कह रहे हैं कि वे अदालता से दया और उदारता दिखाने की अपील नहीं करेंगे। वे अदालत द्वारा दी जाने वाली सजा को सहर्ष स्वीकार करेंगे और यही एक नागरिक का सर्वाेच्च कर्तव्य भी है।

सर्वोच्च न्यायालय अवमानना के लिए दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण की सजा के मामले की  दूसरी पीठ में सुनवाई के  अनुरोध को ठुकरा चुकी है बल्कि इसे अनुचित कृत्य भी करार दे चुकी है। न्यायालय में भूषण के वकील ने तो यहां तक कहा कि अगर इस मामले में अदालत फैसला इस समय टाल देती है तो आसमान नहीं टूट जाएगा। वहीं अदालत ने आश्वस्त किया था कि निर्णय पर अमल पुनर्विचार याचिका पर अमल तक नहीं होगा। उसने प्रशांत भूषण को विकल्प भी दिया कि अगर वे माफी मांग ले तो अदालत उनके साथ नरमी बरत सकती है। बहुधा ऐसा होता नहीं है। चूंकि यह हमपेशा व्यक्ति से जुड़ा मामला है। सामान्य व्यक्ति के साथ भी ऐसा ही हो, जरूरी नहीं।

यूपी में कोरोना बना रहा है रिकॉर्ड, 24 घंटे में 5375 नए मामलों के साथ 70 मौत

देश के सैकड़ों वकीलों और जजों ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह प्रशांत भूषण को सजा न दे। यही नहीं, देश के अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने भी सर्वोच्च न्यायालय से कुछ इसी तरह का आग्रह किया है और यह भी कहा है कि प्रशांत भूषण ने सैकड़ों अच्छे काम किए हैं। यह और बात है कि सर्वोच्च न्यायालय उनकी इस राय से इत्तेफाक नहीं रखता। उसका कहना है कि सौ अच्छे कार्य दस अपराध करने का अधिकार प्रदान नहीं करते। अच्छे काम करने के लिए ही तो मानव तन मिला है लेकिन अपराध करने की छूट किसी को भी नहीं होनी चाहिए।

आलोचना करते वक्त हमें उसकी मर्यादा का भी ज्ञान होना चाहिए। विरोध के लिए आलोचना की जाए और जनहित में आलोचना की जाए, इसका फर्क तो दिखता ही है। अगर प्रशांतभूषण दुष्यंत कुमार को ही पढ़ लेते कि ‘मत कहो आकाश में कुहरा घना है, यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है’ तो भी वे कोर्ट में हो रही तुक्का—फजीहतों से बच जाते। रहीम ने तो खुले आम लिखा है कि जो कुछ भी कहा जाए, उसे पहले हृदय के तराजू पर तौल लिया जाए। ‘हिए तराजू तौलि के तब मुख बाहर आनि।’  इसमें संदेह नहीं कि अदालत के खिलाफ आवाज तो वही उठा सकता है जिसका अदालत से  रोज का साबका हो। प्रशांत भूषण सजा दिलवाते भी हैं और अपने मुवक्किलों को सजा से राहत भी दिलाते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस देश के हर नागरिक को है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ऐसी बातें कही जाएं जो दूसरों को आहत करे।

सुशांत के पोस्टमॉर्टम को लेकर भी खड़े हुये सवाल, डॉक्टर ने बताई ये बात

न्याय की आसंदी पर बैठा व्यक्ति सम्मान ही तो चाहता है। उसका अपमान व्यवस्था का निरादर है। किसी निर्णय पर सहमति और असहमति हो सकती है लेकिन इसकी अभिव्यक्ति शालीनता के दायरे में ही की जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने प्रशांत भूषण से यह भी पूछा है कि उन्होंने वाचिक मर्यादा की लक्ष्मण रेखा क्यों लांघी? शीर्ष अदालत ने 14 अगस्त को प्रशांत भूषण को न्यायपालिका के प्रति अपमानजनक दो ट्वीट के लिये आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। अदालत की मानें तो उनके ट्वीट को  जनहित में न्यायपालिका की कार्यशैली की स्वस्थ आलोचना के लिये किया गया नहीं कहा जा सकता। न्यायालय की अवमानना के जुर्म में उन्हें अधिकतम छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपए का जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है। हालांकि एक जज ने यह भी कहा है कि उन्होंने अपने अपने 24 साल के न्यायाधीश काल में किसी को भी अवमानना का दोषी नहीं ठहराया है। यह इस तरह का मेरा पहला आदेश है। इसका मतलब है कि न्यायालय भी विवश है और इस तरह की विवशता की स्थिति बनी क्यों? यह विचार का विषय है। वकालत बहुत ही पवित्र पेशा है। इसमें राजनीति का प्रवेश उचित नहीं है। प्रशांतभूषण को वकालत और राजनीति दोनों को अलग रखना चाहिए। संस्कृत में वकील को वाक्कील कहा गया है। इसका मतलब जो वाणी का कीलन करे। न्यायपालिका पर अंगुली न उठे, इसके लिए जजों को भी सतर्क रहना चाहिए और वकीलों को भी। न्याय मंदिर की गरिमा का ख्याल रखना सबकी जिम्मेदारी है। जब तक इस पर मंथन नहीं होगा, हालत बिगड़ेंगे ही।

Tags: 24ghante online.comdelhi newsNational newsPrashant BhushanSupreme CourtTweet of lawyer Prashant Bhushanप्रशांत भूषण का ट्वीटवकील प्रशांत भूषणसुप्रीम कोर्ट
Previous Post

गोंडा : शॉट सर्किट से शोरूम में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर खाक

Next Post

उत्तर प्रदेश में 16 जिलों में 1 हजार से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित

Desk

Desk

Related Posts

Tej Pratap Yadav
बिहार

तेज प्रताप यादव ने बनाई नई पार्टी ‘जनशक्ति जनता दल’, चुनाव चिह्न का भी किया एलान

26/09/2025
PM Modi
Main Slider

बिहार की महिलाओं को PM मोदी का तोहफा, बोले- मैं और नीतीश आपके दो भाई हैं

26/09/2025
Theft
Main Slider

पुलिस महकमे में हड़कंप: लखनऊ में आईपीएस के घर चोरी, कैश–ज्वेलरी के साथ 20 टोटियां भी ले गए चोर

26/09/2025
Savin Bansal
राजनीति

भण्डारीबाग रेलवे ओवरब्रिज प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं में से एक लेटलतीफी क्षम्य नहींः डीएम

26/09/2025
Devi temples got a new look under the Yogi government
Main Slider

योगी सरकार में देवी मंदिरों को मिला नया रूप, सुविधाओं से भक्त हो रहे निहाल

26/09/2025
Next Post
बाढ़

उत्तर प्रदेश में 16 जिलों में 1 हजार से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित

यह भी पढ़ें

Horoscope

22 फरवरी राशिफल: जानें क्या कहते है आज आपकी किस्मत के सितारें

22/02/2023
CM Bhajan Lal

राजस्थान शीघ्र ही इंटीग्रेटेड क्लीन एनर्जी पॉलिसी 2024 लॉन्च करेगा: मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा

20/11/2024
Railway

भारतीय रेलवे देगा 35,281 युवाओं को नौकरी

17/11/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version