देहारादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान उपजे यूनिवर्सिटी विवाद में पूर्व सीएम हरीश रावत (Harish Rawat) ने ईनाम की रकम तीन लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी। रावत ने कहा कि जो भी व्यक्ति साबित कर देगा कि मैंने यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की थी, उसे यह रकम दी जाएगी। रावत ने रविवार को हिमाचल चुनाव में कांग्रेस की जीत की बधाई देते हुए उत्तराखंड में पार्टी की हार के कारण गिनाए हैं। रावत ने सोशल मीडिया के जरिए कहा कि हिमाचल में कांग्रेस के लिए नई आशा पैदा हो गई है। मगर उत्तराखंड में आज भी कई लोगों के मन यह सवाल है कि कांग्रेस जीतते-जीतते क्यों हार गई?
उत्तराखंड में हार की सबसे बड़ी वजह पीएम, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री समेत देश के सभी वरिष्ठ मंत्री, भाजपा शासित राज्यों के सीएम और स्थानीय नेताओं द्वारा यूनिवर्सिटी को लेकर भ्रम फैलाना रहा। एक जाली अखबार सोशल मीडिया पर वाइरल किया गया, जिसमें मेरा बयान दिखाया कि सत्ता में आने पर कांग्रेस एक धर्म विशेष की यूनिवर्सिटी बनाएगी।
रावत (Harish Rawat) ने चुनौती देते हुए कहा कि भाजपा या कोई भी व्यक्ति उस अखबार को सामने ले आए जिसमें यूनिवर्सिटी बनाने की बात कही थी? पहले इस अखबार को लाने के लिए 50 हजार रुपये पुरस्कार रखा था। फिर तीन लाख किया, लेकिन तथ्य नहीं ला पाया। अब इस पुरस्कार राशि को पांच लाख रुपये कर दिया गया है।
यदि साबित हो जाता है कि मैंने यूनिवर्सिटी बनाने की बात कही थी तो मैं राज्य के लोगों से माफी मांग कर राजनीति छोड़ दूंगा। या फिर इंसाफ के लिए अदालत की शरण लूंगा। रावत ने पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस विषय को लेकर पुलिस से भी शिकायत की थी।
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लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं के नाम देखकर तो पुलिस भी अंधी हो जाती है।और उनसे अपेक्षा भी नहीं करनी चाहिए कि उनको कुछ दिखाई पड़ेगा। वो केस दर्ज करेंगे तो मैं न्यायिक शरण में जाने के लिए बाध्य होऊंगा
मैं अपने आरोप को फिर दोहरा रहा हूं कि भाजपा झूठे लोगों की पार्टी है। यूनिवर्सिटी के झूठ के गर्भ से वर्तमान धामी सरकार पैदा हुई। हिम्मत है तो मुझ पर मुकदमा करके देखो।
हरीश रावत (Harish Rawat), पूर्व सीएम