उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच के मामले में चार शिक्षकों के फर्जी दिव्यांग प्रमाण होने पर उन्हें बर्खास्त करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया है।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) डॉक्टर गोरखनाथ पटेल ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया की बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति की जांच का आदेश राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में दिया था। जांच के लिए अपर जिलाधिकारी योगेंद्र बहादुर सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। इसमें एएसपी ओपी सिंह और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखनाथ पटेल शामिल थे।
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उन्होंने बताया कि जांच के दौरान उरमौरा निवासी जय प्रकाश सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय अमौली सेकेंड, जय प्रकाश दिव्यांग कोटे से वर्ष 2016 में भर्ती हुआ था। दिव्यांगता प्रमाण पत्र सत्यापन के बाद 10 प्रतिशत पाया गया। इसी तरह वर्ष 2011 में भर्ती सहायक अध्यापक सरला देवी निवासी मुर्द्धवा रेणुकूट रासपहरी कार्यरत गनरहवा टोला ब्लॉक म्योरपुर का दिव्यांगता 15 फीसदी मिला। सहायक अध्यापक माया शुक्ला निवासी उरमौरा तैनाती प्राथमिक विद्यालय बघुआरी की दिव्यांगता 20 फीसदी और सहायक अध्यापक राजेश कुमार द्विवेदी निवासी ग्राम व पोस्ट मऊ जिला चित्रकूट तैनाती प्राथमिक विद्यालय निपराज कार्यरत लोढ़ी की दिव्यांगता 10 प्रतिशत मिली।
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इस बीच अपर जिलाधिकारी (एडीएम) योगेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि इन सभी शिक्षकों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र जांच में फर्जी पाया गया। इस पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इन चारों शिक्षकों का दिव्यांगता प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया। इन चारो फर्जी शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इन शिक्षकों पर खण्ड शिक्षा अधिकारियों को एफआईआर कराने का निर्देश दिया है।