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यूपी के चतुर्मुखी विकास के चार साल

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सियाराम पांडेय ‘शांत’

चार साल बहुत ज्यादा समय नहीं होते लेकिन जब व्यक्ति समय संयम पर ध्यान देता है और सत्ता की बागडोर समय को तरजीह देने वाले हाथों में आ जाती है तो हर लम्हा यादगार बन जाता है। व्यक्ति को या तो यश मिलता है या अपयश,यह व्यक्ति के अपने हाथ में है भी नहीं लेकिन अपना पुरुषार्थ तो वह प्रकट कर ही सकता है।  योगी आदित्यनाथ भी इसके अपवाद नहीं हैं लेकिन उन्होंने जिस निष्ठा के साथ प्रदेश को आगे ले जाने का काम किया है, उसका मूल्यांकन तो होगा ही।

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के चार साल पूरे हो गए। 19 मार्च 2017 को सत्ता संभालने के बाद से आज तक योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने की दिशा में निरंतर काम किया है। वह भी बिना थके, बिना रुके। अगर यह कहें कि योगी आदित्यनाथ की दमदार सरकार उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों को साकार कर रही है तो कदाचित गलत नहीं होगा। जो वर्षों में नहीं हो सका, उसे उन्होंने इन चार वर्षों में कर दिखाने का प्रबल पुरुषार्थ किया है, इस बात से शायद ही किसी को कोई गुरेज हो।

कृषि, शिक्षा,रोजगार और स्वास्थ्य के क्षेत्र में तो योगी सरकार ने काम किया ही है, औद्योगिक क्षेत्र को गति देने, सड़क , वायु परिवहन संपर्क बढ़ाने की दिशा में भी योगी सरकार ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। इस चार साल में देश के किसानों की खुशहाली के दृष्टिगत अगर उन्होंने गन्ना किसानों को सवा लाख करोड़ का भुगतान कर पूर्ववर्ती सरकार के आरोपों का एक तरह से मुंहतोड़ जवाब भी दिया है। अखिलेश सरकार 2012 से 2017 तक के अपने कार्यकाल में गन्ना किसानों को महज 95 हजार करोड़ का ही भुगतान कर सकी थी। सरकार बनते ही योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ का ऋण माफ कर दिया था।

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत सूबे के  2 करोड़ 42 लाख किसानों के खाते में 27134 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। चार साल के योगी राज में न केवल समर्थन मूल्य में दोगुना वृद्धि हुई बल्कि 66 हजार करोड़ रुपये से 378 लाख मी मीट्रिक टन खाद्यान्न भी खरीदा गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा से जहां यूपी के 2.5 करोड़ किसानों का बीमा हुआ वहीं 21.64 लाख किसानों को 1910 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति भी की गई। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना का लाभ खातेदार, सह खातेदार किसान परिवारों के कमाऊ सदस्यों को तो मिला ही,पट्टेदार और बटाईदारों को भी सरकार ने इस योना लाभ से जोड़ने का काम किया है। 3 लाख 58 हजार करोड़ रुपये का फसल ऋण वितरण,रमाला, पिपराइच, मुंडेरवा चीनी मिलों सहित 20 चीनी मिलों का आधुनिकीकरण एवं विस्तारीकरण,निराक्षित गोवंश स्थलों में 5.50 गोवंश संरक्षित, गोवंश रखने पर प्रति गोवंश प्रतिमाह 900 रुपये सहायता,3.77 लाख हेक्टेयरअतिरिक्त सिंचाई क्षमता में वृद्धि और 46 साल से लंबित बाण सागर परियोजना का पूर्ण होना यह बताता है कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। राजनीतिक स्वार्थवश जो लोग उस पर किसान विरोधी होने का आरोप लगा रहे हैं, उनके आरोपों में कोई दम नहीं है।

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इसमें शक नहीं कि विगत चार साल में   किसानों की किस्मत बदली है। सबसे अहम बात यह कि इस कार्यकाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हुई और फसलों की सरकारी खरीद का भी रिकॉर्ड बना। कोविड संकट काल में रफ्तार भले ही मंद पड़ी, लेकिन विकास का पहिया नहीं थमा। लॉकडाउन के बावजूद 119 चीनी मिलों में पेराई होती रही।  गेहूं व धान के अलावा मक्का, दलहन व तिलहन की सरकारी खरीद होने से बाजार में किसानों को बेहतर दाम मिले। विभिन्न योजनाओं के तहत करीब 1803 करोड़ रुपये का अनुदान सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचा है। कृषि उपज की बिक्री के लिए मंडियों की उपयोगिता और अधिक बढ़ी है। मंडी शुल्क समाप्त होने के बाद मंडियों में आनलाइन व्यापार को प्रोत्साहित किए जाने का लाभ मिल रहा है। राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना में 125 मंडियों के जरिये 6,81,278.18 लाख रुपये का कारोबार किया गया। मंडी शुल्क एक फीसद घटाया और फल-सब्जी जैसे 45 कृषि उत्पादों को मंडी शुल्क से मुक्त कर दिया गया। चार वर्ष में 220 नए मंडी स्थल चिन्हित किए गए। 27 मंडियों का आधुनिकीकरण भी किया गया। 291 ई-नाम मंडी स्थापना से 87 लाख किसान और 34 हजार कारोबारी जुड़े हैं। मंडी परिषद की आय में करीब 866 करोड़ रुपये वृद्धि हुई है।

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किसान पाठशालाओं में 55 लाख किसानों को प्रशिक्षित किया गया और 20 नए कृषि विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई। कोरोना काल में किसानों को मोबाइल फोन पर मंडी आदि की सूचनाएं उपलब्ध कराने के साथ ब्लाक स्तर पर वाट्सएप ग्रुप बनाकर सूचनाएं देने की व्यवस्था की गई। 50 हजार से अधिक सोलर पंप लगाए जा रहे हैं। अमरोहा व वाराणसी में मंडी परिषद द्वारा निर्यात बढ़ाने के लिए 26.66 करोड़ रुपये लागत से इंटीग्रेटेड पैक हाउस बनाए गए। 27 मंडियों में कोल्ड व राइपनिंग चैंबर बनाए गए।

जिस तरह दुनिया की अलग-अलग कंपनियां अपने सप्लाई चेन को और लचीला बनाने की कोशिश कर रही हैं और एक स्टेबल इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन  तलाश रही हैं,  उसी तरह राज्य की योगी ने सरकार भारत सरकार की तरह नवीनीकरण प्लांट और मशीनरी को न्यू इलेक्ट्रॉनिक्स पॉलिसी 2020 के तहत 40 प्रतिशत तक एफसीआई इंसेंटिव देने का आदेश दिया है, जिस के तहत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के डेवलपमेंट और मेंटेनेंस के साथ कॉम्पोनेंट्स के निर्माण के लिए इंसेंटिव्स दिया जा रहा है।

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पोस्ट कोविड-19 एक्सेलेरेट्ड इन्वेस्टमेंट प्रमोशन पॉलिसी फॉर बैकवर्ड रीजंस 2020 के तहत राज्य सरकार नई  औद्योगिक इकाइयों  को आकर्षक इंसेंटिव्स फास्ट ट्रैक मोड पर प्रदान करेगी जिससे पूर्वांचल, मध्यांचल और बुंदेलखंड के इलाकों में नए  विकास केंद्र  निर्मित हो सकें। ऐसे ही, एक नई स्टार्टअप पॉलिसी 2020 को लांच किया गया है जिससे नॉन आईटी बेस्ड स्टार्टअप्स को  प्रोत्साहित किया जा सके।डाटा सेंटर पॉलिसी और सिक इंडस्ट्रीज पॉलिसी भी बनाई गई है। बुंदेलखंड और पूर्वांचल में  निजी औद्योगिक पार्क के लिए  उपलब्धता सीमा को 100 से घटाकर 20 एकड़ कर दिया गया है, वहीं पश्चिमांचल और मध्यांचल में इसे 150 से 30 एकड़ कर दिया गया है और पूरे राज्य में लॉजिस्टिक्स पार्क्स के लिए 50 से 25 एकड़ कर दिया गया है। कोविड-19 के बाद, राज्य सरकार ने मंडी के बाहर ट्रांजैक्शन के लिए मंडी टैक्स को पूरी तरह से हटा दिया है, जिससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को काफी राहत मिली है। वर्ष 2018 में एक जनपद—एक उत्पाद योजना लांच की गई  थी, जिससे स्थानीय उद्योगों का संरक्षण किया जा सके। उन्हें  प्रोत्साहित किया जा सके।

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गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के पास 20 हजार एकड़ रेडी टू मूव इंडस्ट्रियल लैंड बैंक है। वर्ष 2021 में 5 हजार एकड़ तक लैंड बैंक को  विकसित करने के लिए  योगी सरकार ने 2020 में सिर्फ 2 महीने  की लघु अवधि में  औद्योगिक विकास प्राधिकरण के जरिए 13.67 प्रतिशत  का लक्ष्य प्राप्त   किया था। ‘निवेश मित्र’ के जरिए प्रमुख औद्योगिक विकास प्राधिकरण को जमीन ऑनलाइन तरीके से चिह्नित की जा रही है।

राज्य सरकार को औद्योगिक विकास के लिए एक्सप्रेस वे के पास 22 हजार  एकड़ जमीन मिली है, इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप के लिए मिक्स्ड लैंड के इस्तेमाल करने की छूट देने के लिए जोनल रेगुलेशन में संशोधन किया गया है, जिससे इंडस्ट्रियल लैंड के लिए एफएआर 3.5 दर बढ़ गया। यह पॉलिसी इंडस्ट्री को अपने सरप्लस लैंड में सब डिवाइड करने की आजादी दे रही है। इसके साथ, लैंड ब्लॉकिंग को रोकने के लिए यूपी इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट एक्ट 1976 में बदलाव किया गया है ताकि आवंटित की गई  जमीन को कैंसिल किया जा सके जो 5 साल तक उपयोग में न लाया जाए। इससे इस बात का पता चलता है कि राज्य सरकार उद्योग—धंधों की गति देने के लिहाज से पूरी त्वरा के साथ काम कर रही है। बिना जाति—धर्म का भेदभाव किए सरकार ने चार साल में चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दी है जबकि अखिलेश यादव के 5 साल के मुख्यमंत्रित्वकाल में महज 2 लाख पांच हजार लोगों को ही सरकारी नौकरी मिली थी।

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1.80 करोड़ से अधिक लोगों को अगर रोजगार मिल सका है तो इसकी वजह यह है कि योगी सरकार ने 50 लाख से अधिक लघु एवं मध्यम  इकाइयों को 2 लाख 13 हजार करोड़ रुपये का ऋण देकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया। एक जिला—एक उत्पादन योजना को आगे बढ़ाने का परिणाम हुआ कि  25 लाख से अधिक लोग अपने ही जिले में रोजगार पा गए। 58758 महिलाओं को बैंकिंग सखी का प्रषिक्षण दिया गया। सरकार ने इस चार वर्षों में  तकरीबन एक करोड़ महिलाओं को  10 लाख स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का काम किया है।  कोरोना काल में अन्य राज्यों से बेरोजगार होकर लौटे  40 लाख से अधिक लोगों को उनकी कौशल क्षमता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराया गया।  मनरेगा में डेढ़ करोड़ श्रमिकों को रोजगार दिया गया।  मिशन रोजगार योजना के तहत बेरोजगारों का मार्गदर्शन करने के लिए उद्यम साथी ऐप संचालित किया गया।

उत्तर प्रदेश के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में किसी राज्य के प्रतियोगी परीक्षार्थियों से पीछे न रह जाएं, इस लिहाज से प्रदेश के सभी 18 मंडलों पर अभ्युदय कोचिंग की स्थापना की गई, अब इसका दायरा जिलेवार करने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। योगी सरकार ने अपने चार साल में सबको शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए 1.35 लाख सरकारी स्कूलों का कायाकल्प किया है। 3 नए राज्य विश्वविद्यालयों, 194 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों, 51 नए राजकीय महाविद्यालयों, 28 अभियंत्रण महाविद्यालयों, 26 पॉलिटेक्निक, 79 आईटीआई, 248 इंटर कॉलेजों, 771कस्तूरबा विद्यालयों और 18 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना की है।

इन चार साल में अपराध जरूर सरकार के समक्ष निश्चित रूप से चुनौती रहा है लेकिन अपराध करने के बाद अपराधी बचे नहीं, उन पर कानूनका डंडा जरूर चला है। हर जुल्मी को जेल की गूंज पूरे प्रदेश में कहीं भी, कभी भी सुनी जा सकती है। वर्ष 2016 की तुलना में डकैती में 68.33 प्रतिशत, लूट में 66.34 प्रतिशत, हत्या में 24.89 प्रतिशत की कमी आई है जबकि बलवा में 28.96 प्रतिशत, अपहरण में 51.92 प्रतिशत, दहेज हत्या में 9.18 प्रतिशत और बलात्कार के मामलों में 33.6 प्रतिशत की कमी आई है। 129 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए हैं। 2782 अपराधी घायल हुए हैं। गैंगस्टर एक्ट में  36990 अभियुक्त पकड़े गए जबकि 523 अभियुक्तों पर रासुका लगाई गई। माफियाओं द्वारा अर्जित तकरीबन एक हजार करोड़ की संपत्ति भी जब्त की गई है।

यह और बात है कि माफियाओं पर कार्रवाई के चक्कर में  तीन पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं जबकि 1013 पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। देखा जाए तो योगी सरकार ने चार साल तक बेहतर परफार्म किया है। अभी भी उसके पास काम करने के लिए एक साल है। उम्मीद की जानी चाहिए कि वह इसी तरह विकास का धमाल मचाती रहेगी। हर क्षेत्र में उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश की ओर ले जाने का कीर्तिमान रचती रहेगी।

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