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गाजीपुर में कूड़े का पहाड़ एक बार फिर विवादों में, BJP – AAP में बढ़ रही खिचातानी

गाजीपुर में कूड़े का पहाड़

गाजीपुर में कूड़े का पहाड़

पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर इलाके स्थित कूड़े का पहाड़ एक बार फिर विवादों में है। अभी तक विवाद कूड़े के ढेर की ऊंचाई बढ़ने को लेकर होता था लेकिन अब इसकी ऊंचाई कम होने को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी में खींचतान बढ़ गई है।

पूर्वी दिल्ली के सासंद गौतम गंभीर एक बार फिर इस साइट पर पहुंचे। दरअसल इस पूरे इलाके के लिए यह पहाड़ पिछले कई वर्षों से मुसीबत का सबब बना हुआ है। लेकिन अब पूर्वी नगर निगम ने अपनी एक रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया है कि इस लैंडफिल साइट की ऊंचाई तकरीबन 40 फीट कम हो गई है।

कूड़े के निस्तारण के लिए पिछले साल सितंबर में ट्रमल मशीनें लगाई गईं थी। यह वो मशीनें हैं जिनकी मदद से कचरे को अलग-अलग किया जाता है। यानी कचरे में से मिट्टी को अलग और प्लास्टिक, लकड़ी के टुकड़ों को अलग किया जाता है।

यह मशीन एक दिन में 600 टन कूड़े का निस्तारण करती है। गाजीपुर लैंडफिल की बात करें तो रोजाना यहां 2,600 टन कूड़ा डाला जाता है। कूड़े के निस्तारण के लिए फिलहाल आठ मशीनें लगाई गई हैं जिसमें से एक मशीन तकरीबन 600 टन कूड़े का निस्तारण करती है। नगर निगम का दावा है कि अब 40 फीट इस लैंडफिल की ऊंचाई कम हो चुकी है। 12 मीटर कम हुई है जबकि एक साल पहले इस कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई 220 फीट के करीबन थी।

इसी रिपोर्ट के आधार पर पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर इस मामले में अब अपनी पीठ थपथपा रहे है। साथ ही वो इसे लेकर सीधा मुख्यमंत्री केजरीवाल पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे है। गंभीर का दावा है कि वो पिछले एक साल में कई बार इसका निरीक्षण करने आते रहे हैं।

इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी इसे देखने का निमंत्रण भेजा था लेकिन वो नहीं आए। बीजेपी सांसद ने कहा कि जो काम आप और कांग्रेस की सरकारों ने इतने वर्षों में नहीं किया वो काम पिछले एक साल में उन्होंने कर दिखाया है।

कूड़े के ढेर की ऊंचाई कम करने के बीजेपी सांसद गौतम गंभीर और निगम के दावे को आप के स्थानीय विधायक कुलदीप कुमार ने कोरा झूठ बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि निगम ने आंकड़ों की जादूगरी करते हुए आखों पर पर्दा डालने के लिए इसी साइट पर कूड़ा फैलाने का काम किया है।

कुलदीप कुमार के मुताबिक कूड़े के पहाड़ पर जो रास्ता 10 फीट का होता था, उस रास्ते को अब बढ़ा कर 30 फीट कर दिया गया है। साफ है कि कूड़े के पहाड़ को कम नहीं किया जा रहा, बल्कि कूड़े को फैलाकर पहाड़ की चौड़ाई को और बढ़ाया जा रहा है, जिससे इलाके के लोगों के बीच डर बना हुआ है।

दरअसल दिल्ली की तीनों लैंडफिल साइट पर कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई को लेकर निगम प्रशासन को कई बार एनजीटी से फटकार पड़ चुकी है। और गाजीपुर की इस साइट पर तो वर्ष 2017 में ऐसा हादसा हुआ कि उसमें दो लोगो की जान चली गई थी। ऐसे में दोनों राजनीतिक दलों की खींचतान में दिल्ली अभी भी कूड़े के ढेर पर फंसी हुई है।

 

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