नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज जब देश आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहा है, तो हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कैसे गीता ने आज़ादी की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सब पर हम शोध करें, अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराए जाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की टिप्पणियों वाली पांडुलिपि के 11 खंडों का विमोचन किया।
आज जब देश आज़ादी के 75 साल मनाने जा रहा है तो हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने आज़ादी की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सब पर हम शोध करें, अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं: PM https://t.co/onXrlB1O0B
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 9, 2021
पीएम मोदी ने गीता के विश्वरूप ने महाभारत से लेकर आज़ादी की लड़ाई तक हर कालखंड में हमारे राष्ट्र का पथ प्रदर्शन किया है। भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। गीता को रामानुजाचार्य ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में देखा।
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मोदी ने कहा कि एक किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक पर ये अलग-अलग व्याख्याएं, इतने मनीषियों की अभिव्यक्ति, ये गीता की उस गहराई का प्रतीक है, जिस पर हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन दिया है। ये भारत की उस वैचारिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपने विचार रखने के लिए प्रेरित करती है।
The Gita is for the whole world. It has been translated into many languages of the world, research on it is being done in many countries: PM Narendra Modi pic.twitter.com/JpMNfNTRN9
— ANI (@ANI) March 9, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये गीता ही है जिसने दुनिया को निस्वार्थ सेवा जैसे भारत के आदर्शों से परिचित कराया। नहीं तो भारत की निस्वार्थ सेवा, विश्व बंधुत्व की हमारी भावना बहुतों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं होती।