Site icon 24 GhanteOnline | News in Hindi | Latest हिंदी न्यूज़

तालिबान पर भड़का जर्मनी, कहा- नहीं मिलेगी एक फूटी कौड़ी

जर्मनी ने गुरुवार को कहा कि अगर तालिबान देश में सत्ता पर कब्जा करने में सफल हो जाता है तो वह अफगानिस्तान को वित्तीय सहायता भेजना बंद कर देगा। जर्मनी के सरकारी टेलीविजन ZDF से बात करते हुए विदेश मंत्री हेइको मास ने कहा कि तालिबान जानता है कि अफगानिस्तान का अंतरराष्ट्रीय सहायता के बिना काम नहीं चल सकता है।

एसोसिएटडेट प्रेस (एपी) के मुताबिक मास ने कहा, “अगर तालिबान अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण लेता है, शरिया कानून लागू करता है और इसे खिलाफत में तब्दील कर देता है, तो हम इस देश को एक फूटी कौड़ी नहीं भेजेंगे।”

जर्मनी हर साल अफगानिस्तान को 430 मिलियन यूरो की सहायता भेजता है। जर्मनी संघर्ष प्रभावित देश को दान करने वाले सबसे बड़े देशों में से एक है। जब से अंतरराष्ट्रीय सैनिकों ने मई में अफगानिस्तान से अपनी वापसी शुरू की, तालिबान ने बड़े पैमाने पर विभिन्न क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया है।

Twitter इंडिया से हटे मनीष माहेश्वरी, अब अमेरिका में संभालेंगे काम

हाल ही में, तालिबान ने राजधानी काबुल से 150 किलोमीटर दूर प्रांतीय राजधानी गजनी पर कब्जा कर लिया। जबकि उसने कल यानी गुरुवार को प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया। यह अफगानिस्तान की 34 में से बारहवीं प्रांतीय राजधानी है जिस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया और सरकारी अधिकारियों को हवाई मार्ग से जान बचाकर शहर से भागना पड़ा।

जेडडीएफ के साथ अपने साक्षात्कार में अफगानिस्तान में तालिबान विद्रोहियों के कब्जा करने के बारे में पूछे जाने पर, मास ने अमेरिका के देश से हटने के फैसले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से वापसी के फैसले का मतलब यह था कि सभी नाटो बलों को भी देश छोड़ना है, क्योंकि अमेरिका के बिना…कोई भी देश अपने सैनिकों को वहां सुरक्षित नहीं रख सकता है।”

चुनाव से पहले BJP को लगा बड़ा झटका, डॉ. राजकुमार त्यागी ने थामा RLD का दामन

मास ने कहा, जर्मनी की सरकार अफगानिस्तान में एक लंबे मिशन पर विचार कर रही थी, लेकिन नाटो के बाहर रहकर यह मुमकिन नहीं हो सका। इस बीच, अफगानिस्तान में बढ़ते खतरे के मद्देनजर विदेश मंत्रालय ने जर्मनों के लिए अपनी गाइडलाइंस बदल दी, उन्हें तत्काल अफगानिस्तान छोड़ने के लिए कहा गया है।

लगभग 20 वर्षों तक जर्मन सैनिकों को अफगानिस्तान में नाटो बल के हिस्से के रूप में तैनात किया गया था। जर्मनी की रक्षा मंत्री एनेग्रेट क्रैम्प-कैरेनबाउर ने रेडियो Deutschlandfunk से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की कि स्थानीय स्तर पर जर्मन सेना के साथ काम करने वाले अफगानों को तालिबान से बचाने के लिए जर्मनी लाया जाएगा।

क्रैम्प-कैरेनबाउर ने कहा, ‘अफगानों को वहां से निकालना हमारी प्रतिबद्धता है’, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान में एक “अड़चन” थी, जो उनके निकासी को बाधित कर रही थी। असल में, स्थानीय अधिकारी केवल उन्हीं अफगान नागरिकों को देश छोड़ने की अनुमति देंगे जिनके पास पासपोर्ट है, जो कई के पास नहीं है।

क्रैम्प-कैरेनबाउर ने कहा, “इन यात्रा दस्तावेजों के बिना, अफगान न हवाई अड्डे पर जा सकते हैं और न ही विमान यात्रा कर सकते हैं। जर्मनी का विदेश मंत्रालय अफगान सरकार के साथ इस अड़चन को दूर करने के लिए काम कर रहा है।”

Exit mobile version