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करुणा का भूमंडलीकरण करना समय की मांग : कैलाश सत्यार्थी

Writer D by Writer D
10/12/2024
in उत्तर प्रदेश, गोरखपुर
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Kailash Satyarthi

Kailash Satyarthi

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गोरखपुर। प्रख्यात समाज सुधारक और नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने कहा कि करुणा का भूमंडलीकरण करना समय की मांग है। करुणा को सिर्फ दया या परोपकार की तरह नहीं लिया जा सकता। यह सामान्य मानवीय गुण नहीं, दैवीय शक्ति है। हमें जीवन में चेतना और प्रज्ञा की यात्रा में करुणा के महत्व को समझना होगा। चेतना बुद्धि का विकास करती है तो इस चेतना को प्रज्ञा तक जाने के लिए करुणा का होना अपरिहार्य है।

श्री सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) मंगलवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के 92वें संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

दूसरों की तालीफ को अपनी मानकर उसे दूर करें

उन्होंने कहा कि करुणा का अर्थ दूसरों की तकलीफ को अपनी तकलीफ की तरह महसूस करना और उसे दूर करने के लिए पूरी सामर्थ्य से जुट जाना है। उन्हें खुशी है कि आज वह करुणामय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हैं। योगी जी मानवता के उद्धार का कार्य पूरी तन्मयता से कर रहे हैं। हर नागरिक का भी यही सपना होना चाहिए।

श्री सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने कहा कि आज दुनिया जितनी विभाजित और विखंडित है, उतनी कभी नहीं थी। 2 अरब लोग युद्धों में या हिंसा के प्रभाव में जी रहे हैं। 46 करोड़ बच्चे युद्धों के शिकार हैं। पूरी दुनिया में जो समाधानकर्ता हैं उनका संबंध पीड़ितों से टूटता गया और दोनों के बीच खाई बढ़ती गई। इस खाई को भरने के लिए नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी को एहसास करना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया आज जितनी अमीर और कनेक्टेड है, उतनी कभी नहीं थी। आज हर सप्ताह दो बिलेनियर पैदा होते हैं। यदि हम युद्धों के एक सप्ताह के पैसे दे दें तो पूरी दुनिया के बच्चों को शिक्षा दी जा सकती है। युद्धों के दस दिन के पैसे दे दें तो दुनिया के हर गरीब बच्चे और महिलाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है।

एक योगी के मन की इच्छा परमात्मा भी पूरी करते हैं

श्री सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने कहा कि आज नोबल पुरस्कार प्राप्त होने की दसवीं वर्षगांठ पर उन्हें दिल्ली के एक कार्यक्रम में शामिल होना था। योगी आदित्यनाथ जी का आमंत्रण मिला और प्रदूषण के कारण दिल्ली का कार्यक्रम स्थगित हो गया। परमात्मा की इच्छा सर्वोपरि होता है और वह गोरखपुर की पुण्यभूमि पर इस कार्यक्रम में आ गए। उन्होंने कहा कि एक योगी के मन की इच्छा को परमात्मा भी पूरी करते हैं।

कौन दीवाना नहीं हो जाएगा योगी जी का

कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) ने एक संस्मरण सुनाते हुए कहा कि करीब 25 वर्ष पूर्व गोरखनाथ के आसपास नेपाल के बच्चों से दुकानों पर काम कराने की जानकारी होने पर वह दिल्ली में युवा सांसद योगी आदित्यनाथ से मिलने उनके दिल्ली के फ्लैट पर गए थे। उनके फ्लैट पर साधारण तख्त और कुर्सियां थीं। चुम्बकीय आकर्षण वाली मुस्कुराहट के साथ योगी जी को जैसे ही उन्होंने बाल श्रम के बारे में बताया उन्होंने फौरन फोन मिलाकर इस समस्या को समाप्त करने का आदेश दिया। श्री सत्यार्थी ने कहा कि पहली बार किसी राजनेता का यह रूप देखकर कौन दीवाना नहीं हो जाएगा।

गरीबों और पीड़ितों के चेहरे पर खुशहाली लाना ही कार्य का प्रमाण पत्र

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Kailash Satyarthi) की कार्यशैली की सराहना करते हुए कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि कोरोना संकट के दौर में सीएम योगी ने नैतिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी लेकर उन प्रवासियों के भी भोजन का प्रबंध किया जो उत्तर प्रदेश होकर अपने राज्यों को गए। ऐसे ही बिहार के एक व्यक्ति ने योगी जी के बिहार दौरे पर उनसे मिलकर, एक लिफाफा देकर उनके प्रति आभार जताया कि जब वह अपने घर आ रहा था तो उसके भोजन का इंतजाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। श्री सत्यार्थी ने कहा कि वास्तव में गरीबों और पीड़ितों के चेहरे पर खुशहाली लाना ही कार्य का प्रमाण पत्र होता है।

विकास की अवधारणा में समग्रता का बोध

श्री सत्यार्थी ने कहा कि भारतीय मनीषा में विकास की अवधारणा में समग्रता का बोध है। हमारे यहां वैयक्तिक, सामूहिक और सार्वभौमिक विकास को जोड़कर रखा गया है। शिक्षा, कौशल और अनुभव सिर्फ वैयक्तिक विकास के लिए है तो वह अधूरा और स्वार्थमय है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ का स्लोगन है कि कोई पीछे न रह जाए। हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने साथ चलने, साथ बढ़ने का मंत्र दिया था।

ऐसे ज्ञान का विकास हो जो सबके लिए हो

कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि हमें मिलकर ऐसे ज्ञान का विकास करना है जो सबके लिए हो। चंद देशों में सिमटे विशिष्ट ज्ञान के लोकतंत्रीकरण करने की आवश्यकता है। सबके द्वारा और सबके लिए ज्ञान की परिकल्पना को साकार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें किसी पश्चिम के थिंक विचारक से ज्ञान उधार लेने की आवश्यकता नहीं है। हमारे भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रेम और शांति वाला दुनिया बनाने का सामर्थ्य है। हमारा ज्ञान सामूहिकता, सार्वजनिकता और सार्वभौमिकता का बोध कराने वाला है। अपने अंदर देखने का सामर्थ्य और समृद्धि हमारे डीएनए का हिस्सा है। सर्वे भवन्तु सुखिनः के संदेश को पुनर्जागृत करने की आवश्यकता है।

ज्ञान यज्ञ का नेतृत्व कर रहे हैं सीएम योगी

श्री सत्यार्थी ने ज्ञान को सर्वश्रेष्ठ यज्ञ बताते हुए कहा कि आज उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ज्ञान यज्ञ का नेतृत्व कर रहे हैं। ज्ञान यज्ञ को वैभव का परिचायक बताते हुए कहा कि इस ज्ञान यज्ञ के साक्षी वह भी बने हैं। उन्होंने ऋग्वेद की एक उक्ति का उद्धरण देते हुए कहा कि यज्ञ की आहूति प्रतिकात्मक दी जाती है लेकिन हमारा ज्ञान, विवेक, अनुभव हमारे सभी प्रकार के सामर्थ्य को समर्पित करते हैं।

डिजिटल इकोनॉमी बन रही है दुनिया

कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि 50 वर्ष पहले वह कहा करते थे कि दुनिया ज्ञान की दुनिया बनने जा रही है। आज तो यह दुनिया डिजिटल इकोनॉमी बन रही है। इसमें अगर बच्चों को मौका नहीं मिला तो यह देश ज्ञान सागर से वंचित रह सकता है। इस अवसर पर महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के समारोह में उपस्थित विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि इस सभा मंडप को देखकर लग रहा है कि जैसे यहा बैठे युवाओं, युवतियों में राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ कर दिखाने का जज्बा है। उन्होंने कहा कि 1932 में महंत दिग्विजयनाथ जी ने राष्ट्र के प्रति आगे बढ़ने की जो इच्छा जगाई और महंत अवेद्यनाथ जी ने उसे और आगे बढ़ाया, योगी आदित्यनाथ ने और आगे बढ़कर इस भूमि को महान पुण्यभूमि में बदल दिया है।

Tags: gorakhpur newsKailash Satyarthi
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