समाजवादी पार्टी (सपा) के महासचिव वह पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर ने आरोप लगाया है कि केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार ने कृषि सशोधन विधेयक 2020 पारित कराने में संविधान और सदन की मर्यादा को तोड़ा है।
श्री राजभर ने मंगलवार को यहां कहा कि कृषि संशोधन विधेयक 2020 पारित कराने में सरकार के दबाव में पीठ ने मत विभाजन नहीं कराया, जो संविधान व सदन का अपमान है। उन्होंने कहा कि राज्य सभा में भी जो हुआ वह निंदनीय है। दोनों सदनों में सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया गया।
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उन्होंने कहा कि राज्यसभा में 12 दलों के सांसद व अकाली दल में विरोध तथा सांसदों के कोरोना पाॅज़िटिव होने के नाते सरकार अल्पमत में थी। सरकार पर तंज कहते हुए श्री राजभर ने कहा कि हारने की भय से सरकार ने असंवैधानिक कार्य किया है।
श्री राजभर ने कहा कि पांच जून 2020 को कृषि कानून का अध्यादेश में लाना और सदन में जबरन पास कराना। सरकार की नीयत को उजागर करता है। इस कानून के कारण किसान कम्पनियों के हवाले हो गये है। इस कानून के कारण मंडी समिति और एफसीटी बर्बाद हो जायेगी। कम्पनियों के हाथ में कृषि उत्पाद खरीद व भंडारण से जमाखोरों के साथ जब किसान उत्पाद तैयार होगा,तो कम्पनियां मार सफलता और मंहगा का खेल खेलेंगी।
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उन्होंने कहा कि देश का किसान एमएसपी पर कानून चाहता है कि निर्धारित दर से कम किमत पर किसानों का माल कार्य करने वालों पर जेल भेजने का कानून बने। लेकिन केन्द्र सरकार यह नहीं चाहती है। कृषि कानून की मांग किसी भी किसान संगठन ने नहीं की है। यहां तक कि आरएसएस किसान संगठन भी पारित कानून का विरोध कर रहा है। उद्योगपतियों के दबाव में किसानों के लिए यह काला कानून बनाया गया है।