कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच एक बार फिर रेलवे के संचालन को अनिश्चितकाल के लिए रोके जाने की बात की चर्चा तेज हो गई है। इस बीच इस संबंध में रेलवे बोर्ड ने आज एक बयान जारी करके साफ कर दिया है कि मौजूदा परिस्थितियों में ट्रेनों के संचालन को रोकने या पाबंदियां लगाने की सरकार की कोई योजना नहीं है।
दरअसल, देश में कोरोना महामारी का प्रकोप लगातार तेज होता जा रहा है। कोरोना के नए केसों की संख्या रोजाना एक लाख के आंकड़े को पार कर चुकी है। संक्रमण के कारण अलग अलग राज्यों में आंशिक लॉकडाउन से लेकर नाइट कर्फ्यू तक के वैकल्पिक उपाय अपनाए जा रहे हैं। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच मुंबई सेट्रल से अहमदाबाद और दिल्ली से लखनऊ के बीच चलने वाली तेजस एक्सप्रेस का संचालन भी बंद कर दिया है। ऐसे में अब इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या एक बार फिर पूर्ण लॉकडाउन लगाकर देशभर में ट्रेनों के संचालन को रोका जा सकता है।
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उल्लेखनीय है कि कोरोना के कारण लगने वाली पाबंदियों के बीच महानगरों से प्रवासी मजदूरों के पलायन की खबरें भी लगातार आ रही हैं। कहा जा रहा है कि ट्रेनों के संचालन पर रोक लगने की आशंका से ये प्रवासी मजदूर समय रहते अपने गांव लौट जाना चाहते हैं। इस संबंध में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सुनीत शर्मा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि फिलहाल रेल सेवाओं को रोकने या कम करने की कोई योजना नहीं है।
बयान में कहा गया है कि जो लोग यात्रा करना चाहते हैं, उनके लिए ट्रेनों की कोई कमी नहीं है। आगे भी लोगों की जरूरत के अनुसार ट्रेनें चलाईं जाएंगी। अभी यात्रियों की संख्या सामान्य है लेकिन अगर आने वाले दिनों में यात्रियों की संख्या बढ़ी तो जरूरत के हिसाब से ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
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रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के बयान में महाराष्ट्र से मजदूरों के पलायन की बात को भी नकारा गया है। बयान में कहा गया है कि रेलवे स्टेशन पर मजदूरों की भीड़ को पलायन कहना सही नहीं है, क्योंकि नाइट कर्फ्यू से बचने के लिए सामान्य यात्री भी समय से पहले स्टेशन पर आ जाते हैं, जिसके कारण ऐसा लगता है कि स्टेशनों पर पलायन करने वाले लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई है। हालांकि इस बयान में ये भी स्पष्ट किया गया है कि अगर आने वाले दिनों में मजदूरों की घर वापसी जैसी स्थिति बनी, तो जरूरत के हिसाब से स्पेशल ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी।