सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान पर विचार करे। सभी नागरिकों को निःशुल्क टीका देने पर विचार हो। यह वैक्सीन निर्माता कंपनी पर नहीं छोड़ा जा सकता कि वह किस राज्य को कितनी वैक्सीन उपलब्ध करवाए। यह केंद्र के नियंत्रण में होना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई छह मई को होगी।
सुनवाई शुरू होते ही कोर्ट ने कहा कि हम सरकार की तरफ से रखे गये पावर प्वायंट प्रेजेंटेशन को देखेंगे। पर हमने कुछ मुद्दों की पहचान की है। उन्हें रखना चाहते हैं। क्या ऐसी व्यवस्था बन सकती है, जिससे लोगों को पता चल सके कि ऑक्सीजन की सप्लाई कितनी की गई। किस हॉस्पिटल के पास इस समय कितनी उपलब्धता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि वैक्सीन की कीमत में अंतर क्यों है। निरक्षर लोग जो कोविन एप इस्तेमाल नहीं कर सकते, वह टीकाकरण के लिए कैसे पंजीकरण करवा सकता है। कोर्ट ने पूछा कि केंद्र सरकार सौ फीसदी वैक्सीन क्यों नहीं खरीद रही है। एक हिस्सा खरीद कर बाकी बेचने के लिए वैक्सीन निर्माता कंपनियों को क्यों स्वतंत्र कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन विकसित करने में सरकार का भी पैसा लगा है। इसलिए, यह सार्वजनिक संसाधन है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम यह साफ करना चाहते हैं कि अगर लोग सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा बता रहे हैं तो उसे झूठी सूचना बताकर कार्रवाई नहीं की जा सकती। सभी राज्यों और उनके पुलिस महानिदेशक तक यह स्पष्ट संकेत जाना चाहिए कि इस तरह की कार्रवाई को हम कोर्ट की अवमानना के तौर पर देखेंगे। कोर्ट ने साफ कहा कि लगातार सेवा दे रहे डॉक्टर और नर्स बहुत बुरी स्थिति में हैं। चाहे निजी अस्पताल में हो या सरकारी, उन्हें उचित आर्थिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए। अंतिम वर्ष के 25 हजार मेडिकल छात्र और दो लाख नर्सिंग छात्रों की भी मदद लेने पर विचार होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि हम स्वास्थ्य ढांचे को लेकर सरकार की सिर्फ आलोचना कर रहे हैं। हमें पता है कि पिछले 70 सालों में बहुत कुछ नहीं हो पाया, लेकिन इस आपातकालीन स्थिति में अभी बहुत काम करने की जरूरत है।
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तब केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस सुनवाई को सही रूप में ही ले रही है। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि हमारी सुनवाई से सकारात्मक बदलाव हो। हम ऑक्सीजन के बिना तड़प रहे नागरिकों की सुनना चाहते हैं। तब तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली को 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिया गया, पर उनके पास उसे उठाने की क्षमता नहीं है। एक निर्माता और ऑक्सीजन देना चाहता है, परन्तु उठाने की क्षमता बढ़ानी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र के चार्ट में दिल्ली को 490 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दिखाया गया है। दिल्ली की मांग 700 मीट्रिक टन है। दिल्ली औद्योगिक राज्य नहीं है। इसकी स्थिति अलग है। आप इस बात पर जोर मत दीजिए कि ऑक्सीजन सप्लाई को उठाने की क्षमता नहीं है। आप मदद कीजिए। दिल्ली पूरे देश का प्रतिनिधित्व करती है।
कोर्ट ने कहा कि अगर अभी से कुछ नहीं किया गया तो सोमवार तक पांच सौ मौतें हो जाएंगी। तब तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली को सप्लाई बढ़ाने के लिए कहीं और कमी करनी पड़ेगी। दिल्ली में कोरोना से हो रही हर मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हो रही है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप केंद्र सरकार होने के नाते दिल्ली के लोगों के प्रति जवाबदेह हैं।
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सुनवाई के दौरान पूर्व कानून मंत्री अश्विनी कुमार भी पेश हुए। उन्होंने कहा कि कोरोना के बावजूद कुंभ जैसे धार्मिक आयोजन और राजनीतिक रैलियां होती रहीं। यूपी में पंचायत चुनाव की ड्यूटी में लगे लोग बीमार पड़ गए। इस पर कुछ किया जाना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पहलुओं को एमिकस क्यूरी देखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ कंपनियों के पास खाली टैंकर हैं। आप उनसे लेने पर विचार कीजिए। तब मेहता ने कहा कि दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, उस पर मैंने केंद्र से निर्देश लिया। आपने जो कहा है, उसका पालन किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के इस रवैये की सराहना की। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से केंद्र के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के लोगों के लिए ऑक्सीजन और दवाइयां जुटाने के लिए मिलकर काम कीजिए। राजनीति चुनाव के समय की जाती है। ऐसी विपत्ति के समय नहीं।
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केंद्र सरकार के उद्योग संवर्धन विभाग की अतिरिक्त सचिव सुमिता डावरा ने ऑक्सीजन उत्पादन और वितरण का ब्यौरा रखते हुए कहा कि वो खुद भी कोरोना से संक्रमित हैं। जजों ने उनके प्रयास की सराहना की। डावरा ने बताया कि विभाग के सचिव कोविड के चलते आईसीयू में हैं। डावरा ने कहा कि इस समय 19,871 मीट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध है। मैं यह भरोसा दिलाना चाहती हूं कि 13 हजार मीट्रिक टन अतिरिक्त ऑक्सीजन का प्रबंध भी किया जा सकता है। राज्यों की बढ़ती मांग का विशेष ध्यान रखा जा रहा है।
डावरा ने कहा कि 15 अप्रैल को दिल्ली ने अपनी मांग बताई। फिर अचानक कहना शुरू कर दिया कि उसे 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन चाहिए। 21 अप्रैल को दिल्ली के मुख्य सचिव से बात कर 100 मीट्रिक टन अतिरिक्त ऑक्सीजन दिया गया।
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दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि 700 मीट्रिक टन की मांग थी, जबकि हें 490 मीट्रिक टन दी गई और अभी भी पूरी क्षमता से नहीं दी गई है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपने कितना उठाया। तब राहुल मेहरा ने कहा कि काफी समन्वय करने के बाद दिल्ली को 400 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली। सबसे ज्यादा एक दिन 431 मीट्रिक टन था। अब मई के मध्य में जब कोरोना पीक पर होगा तो दिल्ली में 15 हजार ऑक्सीजन बेड और 12 सौ आईसीयू बेड होंगे। मेहरा ने कहा कि अब हमारे पास 900 मीट्रिक टन से अधिक की मांग है। हमने उस बारे में पीयूष गोयल को सूचना दी है। तब जस्टिस एल नागेश्वर राव ने कहा कि हमें सभी राज्यों को सुनना होगा।
मेहरा ने कहा कि इस समय हमारा एकमात्र उद्देश्य लोगों की जान बचाना है। केंद्र हमारी 900 मीट्रिक टन की बढ़ी हुई मांग पर विचार करे। तब जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम मई में दिल्ली नहीं छोड़ रहे हैं। हम यहां हैं। पहला कदम उठाते हैं।