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देश में GST लागू हुए चार साल पूरे, जानिए क्या बढ़ी देश की कमाई? 

GST

GST

जीएसटी को लागू किए आज चार साल पूरे हो गए हैं। 30 जून 2017। ये वो तारीख थी जब देश के टैक्स सिस्टम में आमूल चूल बदलाव किया गया। देश में टैक्सेशन की नई व्यवस्था जीएसटी 1 जुलाई 2017 से लागू हुई थी। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने GST रोल आउट के कर्ताधर्ता थे। जीएसटी ने पिछले कुछ महीनों से देश को अच्छा राजस्व दिया है लेकिन इसकी पूर्ण क्षमता का दोहन बाकी है।

जीएसटी को लोकसभा ने 29 मार्च 2017 को पास किया था। सरकार ने इस टैक्स पद्धति के लागू होने की ऐतिहासिक तारीख 1 जुलाई 2017 तय की थी। इस नई प्रणाली से वैट, एक्साइज ड्यूटी और सर्विस टैक्स जैसे 17 टैक्स खत्म हो गए।

छोटे उद्योग धंधों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 40 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर वाले बिजनेस को जीएसटी के दायरे से मुक्त कर दिया। इसके अलावा वैसे बिजनेस जिनका सालाना टर्न ओवर 1.5 करोड़ था उन्हें कंपोजिशन स्कीम के तहत मात्र 1 फीसदी टैक्स जमा करने की छूट गई। जबकि वैसे सर्विस प्रोवाइडर जिनका टर्नओवर 50 लाख तक था उन्हें मात्र 6 फीसदी टैक्स अदा करने की छूट दी गई।

जब देश में जीएसटी लागू किया गया तो राज्यों और केंद्र के बीच फंड के बंटवारे को लेकर सहमति थी। लेकिन कोरोना संक्रमण के दौरान इसे लेकर राज्यों खास तौर पर गैर बीजेपी शासित राज्य और केंद्र की सरकार के बीच जमकर बयानबाजी हुई है।

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जब जीएसटी को लागू किया जा रहा था तो सरकार ने हर महीने 1 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह का लक्ष्य रखा था। पिछले आठ महीनों से जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ से ऊपर गया है। मई में ये आंकड़ा 1,02,702 करोड़ था।

बता दें कि जब कोरोना ने दस्तक दिया तो जीएसटी काउंसिल से मांग की गई कि कई वस्तुओं से जीएसटी की दरें कम की जाए, दवाओं और मेडिकल उपकरणों को लेकर ऐसी खास मांग की गई. इसके बाद दवाओं, मेडिकल ऑक्सीजन और टेस्टिंग किट पर जीएसटी की दर 5 फीसदी कर दी गई। एम्बुलेंस पर लेवी को 12 फीसदी कर दिया गया।

हालांकि जीएसटी का संग्रह पिछले कुछ महीनों से 1 लाख करोड़ से ऊपर ही रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार टैक्स नेट का विस्तार नहीं कर पा रही है, इसलिए टैक्स कलेक्शन में बड़ी ग्रोथ देखने को नहीं मिल रही है।

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2019-20 में जीएसटी में केंद्र की हिस्सेदारी मात्र 3.5 फीसदी बढ़ी, कोरोना साल यानी कि 2020-2021 में इसमें 7.9 फीसदी की गिरावट हुई।

कई छोटे बिजनेस संस्थान जीएसटी की कागजी औपचारिकताओं की वजह से इसमें रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाए। इसलिए भी पिछले 4 साल से इसके संग्रह में उल्लेखनीय बढ़ोतरी नहीं हुई। कई बिजनेस घरानों ने ऐसे उपाय कर लिए ताकि उनका टर्नओवर जीएसटी के दायरे में नहीं आए।

हालांकि जीएसटी लागू करने के वक्त राज्य और केंद्र सरकारों के बीच सहमति थी, लेकिन पिछले 1.5 सालों में फंड के बंटवारे को लेकर कई बार बयानबाजी देखने को मिली है। राज्यों का खासकर गैर बीजेपी शासित राज्यों का कहना है कि उन्हें जीएसटी काउंसिल समय पर पैसे नहीं देता है। राज्यों के कई वित्त मंत्रियों ने जीएसटी काउंसिल पर राजनीतिक भावना से काम करने का आरोप लगाया है। विपक्ष शासित राज्य जीएसटी काउंसिल पर मनमानी और नहीं सुनने का आरोप लगाता रहते हैं।

जीएसटी लागू होने के चार साल पूरा होने के मौके पर पीएम मोदी ने इस सिस्टम की तारीफ की है। पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी भारत के इकोनॉमिक लैंडस्कैप में मील का पत्थर साबित हुआ है। क्योंकि इसने करों की संख्या घटा दी और लोगों के सिर से करों का बोझ कम किया है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस साल जीएसटी के मौके पर केंद्र सरकार 54000 जीएसटी भुगतानकर्ताओं को सम्मानित करेगी। वहीं वित्त राज्य मंत्री अनुराग तोमर ने कहा कि पिछले 4 सालों में 400 वस्तुओं और 80 सेवाओं पर जीएसटी की दरें कम हुई है। जीएसटी लागू होने से होने पहले राज्यों और केंद्र की मिली जुली दरें ज्यादातर आइटम पर 31 फीसदी से ज्यादा थी।

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