सिखों के 10वें गुरु गोबिंद सिंह जी की आज जयंती है। उनका जन्म पटना के साहिब में हुआ था। इनके पिता सिखों के दसवें गुरु तेगबहादुर थे। साल 1699 में गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोबिंद सिंह ने ही गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित किया था। कहा जाता है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों की सेवा करते हुए और सच्चाई की राह पर चलते हुए ही गुजार दिया था। गुरु गोबिंद सिंह का उदाहरण और शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
5 चीजों को बनाया सिखों की शान
गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंत की रक्षा के लिए कई बार मुगलों का सामना किया था। सिखों के लिए 5 चीजें- बाल, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा धारण करने का आदेश गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था। इन चीजों को ‘पांच ककार’ कहा जाता है, जिन्हें धारण करना सभी सिखों के लिए अनिवार्य होता है। गुरु गोबिंद सिंह को ज्ञान, सैन्य क्षमता आदि के लिए जाना जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह ने संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएं भी सीखीं थी। साथ ही उन्होंने धनुष-बाण, तलवार, भाला चलाने की कला भी सीखी। गुरु गोबिंद सिंह एक लेखक भी थे, उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की थी। उन्हें विद्वानों का संरक्षक माना जाता था। कहा जाता है कि उनके दरबार में हमेशा 52 कवियों और लेखकों की उपस्थिति रहती थी। इस लिए उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता था।
गुरु गोबिंद सिंह ने दी ये सीख
गुरु गोबिंद सिंह ने कहा धरम दी किरत करनी यानि अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं। किसी का अहित ना करें। अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे दें और गुरुबानी को कंठस्थ कर लें। काम में खूब मेहनत करें और काम को लेकर कोताही न बरतें। अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर घमंड ना करें। दुश्मन से भिड़ने पर पहले साम, दाम, दंड और भेद का सहारा लें, और अंत में ही आमने-सामने के युद्ध में पड़ें। किसी की चुगली-निंदा से बचें और किसी से ईर्ष्या करने के बजाय मेहनत करें।
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किसी भी विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग व जरूरतमंद शख्स की मदद जरूर करें। अपने सारे वादों पर खरा उतरने की कोशिश करें। खुद को सुरक्षित रखने के लिए शारीरिक सौष्ठव, हथियार चलाने और घुड़सवारी की प्रैक्टिस जरूर करें। आज के संदर्भ में नियमित व्यायाम जरूर करें।