हमीरपुर। गल्ला के व्यापार में बुरी तरह से फेल होने के बाद पुरानी गल्ला मंडी निवासी जगत गुप्ता ने दो अन्य लोगों को साझीदार बनाकर 2001 में गुटखा (gutkha) बनाने का कारखाना अपने आवास में लगाया था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कुछ ही वर्षों में करोड़पति बन बैठा।
सुमेरपुर कस्बे में इसकी गिनती बड़े कारोबारियों में होने लगी। कस्बे की पुरानी गल्ला मंडी निवासी जगत गुप्ता का पूर्व में गल्ले का व्यापार था। इस व्यापार में यह बुरी तरह से तबाह होकर बर्बादी की कगार पर खड़ा हो गया था। इसको बंद करने के बाद 2001 में इसने कस्बा निवासी राकेश गुप्ता तथा हमीरपुर निवासी मेडिकल स्टोर व्यवसाई गोपाल ओमर को साझीदार बनाया और चंद्रमोहन ब्रांड का रजिस्ट्रेशन राकेश गुप्ता के नाम पर कराकर गुटखा का कारोबार शुरू किया। चंद दिनों में ही यह ब्रांड बुंदेलखंड के साथ-साथ कानपुर, फतेहपुर व कानपुर देहात में छा गया और उसकी माली हालत रातोंरात बदल गई।
2011 में तत्कालीन जिलाधिकारी जी.श्रीनिवास लू ने छापा मारा और अवैध ढंग से कारोबार करने के साथ टैक्स चोरी आदि में कार्यवाही करते हुए फैक्ट्री को सील कर दिया था। उस समय दो जगहों पर मशीनें लगाकर गुटखा तैयार किया जा रहा था। इस कार्यवाही के बाद करीब छह माह तक कारोबार बंद रहा। इस छापेमारी में राकेश गुप्ता के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। यह आज भी विचाराधीन है। इसके बाद जगत ने दोनों साझीदारों को व्यवसाय में घाटा दिखाकर अलग कर दिया और 2013 में नौकर के नाम रजिस्ट्रेशन कराकर ब्रांड बदलकर पुनः कारोबार शुरू किया। अब यह ब्रांड भी बाजार में छाया हुआ है। दयाल नाम से बिकने वाला यह गुटखा जनपद के अलावा बांदा, चित्रकूट, महोबा, जालौन, झांसी, कानपुर, फतेहपुर में मजबूत पकड़ बनाकर कारोबार कर रहा है। छापा पड़ने के बाद यह बाजार से ओझल हो सकता है। बताते है कि दयाल गुटखा का रजिस्ट्रेशन राकेश पंडित के नाम है जबकि तंबाकू का रजिस्ट्रेशन सहदेव गुप्ता के नाम बताया जा रहा है। जगत के नाम पर गुटखा का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है।
जबकि यह सच है कि यही असली गुटखा किंग यही है। अब देखना यह है कि जीएसटी टीम जगत गुप्ता के खिलाफ कार्यवाही करती है अथवा राकेश पंडित या सहदेव गुप्ता पर गाज गिराती है। क्योंकि जगत मुकदमा आदि की कार्यवाही से बचने के लिए ही इतना बड़ा कारोबार होने के उपरांत नौकरों के नाम पर रजिस्ट्रेशन करा रखे हैं। ताकि छापे की कार्रवाई होने पर वह स्वतः मुकदमें आदि के झंझट से दूर रहें और कोर्ट कचहरी के चक्कर न काटने पड़ें।