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हलछठ व्रत: संतान की लंबी आयु के लिए इस विधि से करें पूजा

Desk by Desk
07/08/2020
in Main Slider, ख़ास खबर, धर्म, फैशन/शैली, राष्ट्रीय
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हल छठ पूजा

हल छठ पूजा

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धर्म डेस्क। हलछठ पर्व 9 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्योहार हर साल भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। इस पर्व को हरछठ के अलावा कुछ पूर्वी भारत में ललई छठ के रुप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, द्वापरयुग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से पहले शेषनाग ने बलराम के अवतार में जन्म लिया था।

यह पूजन सभी पुत्रवती महिलाएं करती हैं। यह व्रत पुत्रों की दीर्घ आयु और उनकी सम्पन्नता के लिए किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं प्रति पुत्र के हिसाब से छह छोटे मिटटी या चीनी के वर्तनों में पांच या सात भुने हुए अनाज या मेवा भरतीं हैं।

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लिया जाता है। पूजा-अर्चना के बाद पूरे दिन निराहार रहना चाहिए। फिर शाम के समय पूजा-आरती के बाद फलाहार लिया जाता है। इस व्रत को करने से व्रती को धन, ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति भी होती है।

छोटी कांटेदार झाड़ी की एक शाखा ,पलाश की एक शाखा और नारी जोकि एक प्रकार की लता होती है की एक शाखा को भूमि या किसी मिटटी भरे गमले में गाड़ कर पूजन किया जाता है। महिलाएं पड़िया वाली भैंस के दूध से बने दही और महुवा (सूखे फूल) को पलाश के पत्ते पर खा कर व्रत का समापन करती हैं।

इस दिन गाय के दूध व दही का सेवन करना वर्जित माना जाता है। इस दिन बिना हल चले धरती का अन्न व शाक भाजी खाने का विशेष महत्व है। इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियों को विशेष तौर पर करना चाहिेए। हरछठ के दिन दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को पसही के चावल और महुए का पारण करने की मान्यता है।

हलछठ मुहूर्त

  • षष्टी तिथि प्रारंभ – 28:19 बजे से (8 अगस्त)
  • षष्टी तिथि समाप्त – 30:42 तक (9 अगस्त)
Tags: "Hal shasti 2020 date:hal chatt 2020 datehal shashti 2020 dateहल छठ 2020हल छठ कब हैहल छठ पूजा
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