• About us
  • Privacy Policy
  • Disclaimer
  • Terms & Conditions
  • Contact
24 Ghante Latest Hindi News
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म
No Result
View All Result

यहां नहीं होती है हनुमान जी की पूजा, इस वजह से उनसे अब तक नाराज है लोग

Writer D by Writer D
25/01/2022
in Main Slider, धर्म, फैशन/शैली
0
hanuman jayanti

hanuman jayanti

14
SHARES
176
VIEWS
Share on FacebookShare on TwitterShare on Whatsapp

मंगलवार और शनिवार को हनुमान मंदिरों में उनके दर्शन के लिए लंबी-लंबी कतारों में श्रद्धालुओं को लगना पड़ता है। कलियुग में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले भगवान में हनुमानजी पहले आते हैं। लेकिन अगर कोई ये कहे कि यहां हनुमान की पूजा नहीं होती है, उनकी पूजा पर प्रतिबंध है तो हैरान होना स्वाभाविक है। भारत के ही एक गांव में हनुमानजी की पूजा नहीं होती है। इस गांव के लोग हनुमानजी से अब तक गुस्सा हैं। इसी वजह से इस गांव में न तो इनकी पूजा होती है और न ही कोई मंदिर ही है।

 

उत्तराखंड के सीमांत जनपद चमोली का द्रोणागिरि गांव। यह गांव जोशीमठ प्रखण्ड में जोशीमठ नीति मार्ग पर लगभग 14000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है हनुमानजी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए पर्वत उठाकर ले गए थे।

द्रोणागिरि के लोग उस पर्वत की पूजा करते थे, इसलिए वे हनुमानजी के पर्वत उठा ले जाने से नाराज हो गए। यही कारण है कि आज भी यहां हनुमानजी की पूजा यहां नहीं होती। यहां तक कि इस गांव में लाल रंग का झंडा लगाने पर भी पाबंदी है। कहते हैं कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लेने के लिए इस गांव में पहुंचे तो वे भ्रम में पड़ गए। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि किस पर्वत पर संजीवनी बूटी हो सकती है। तब गांव में उन्हें एक वृद्ध महिला दिखाई दी।

उन्होंने पूछा कि संजीवनी बूटी किस पर्वत पर होगी? वृद्धा ने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा किया। हनुमान जी उड़कर पर्वत पर गए पर बूटी कहां होगी यह पता न कर सके। वे फिर गांव में आए और वृद्धा से संजीवनी बूटी वाली जगह पूछा।

जब वृद्धा ने बूटीवाला पर्वत दिखाया तो हनुमान ने उस पर्वत के काफी बड़े हिस्से को तोड़ा और पर्वत को लेकर उड़ गए। कहते हैं जिस वृद्धा ने हनुमान की मदद की थी उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया। आज भी इस गांव के आराध्य देव पर्वत की विशेष पूजा पर लोग महिलाओं के हाथ का दिया नहीं खाते हैं।

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार हनुमानजी पर्वत उठाकर ले जाने का प्रसंग वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में मिलता है। रामायण के अनुसार, रावण के पुत्र मेघनाद ने ब्रह्मास्त्र चलाकर श्रीराम व लक्ष्मण सहित समूची वानर सेना को घायल कर दिया।

अत्यधिक घायल होने के कारण जब श्रीराम व लक्ष्मण बेहोश हो गए तो मेघनाद प्रसन्न होकर वहां से चला गया। उस ब्रह्मास्त्र ने दिन के चार भाग व्यतीत होते-होते 67 करोड़ वानरों को घायल कर दिया था।

हनुमानजी, विभीषण आदि कुछ अन्य वीर ही उस ब्रह्मास्त्र के प्रभाव से बच पाए थे। जब हनुमानजी घायल जामवंत के पास पहुंचे तो उन्होंने कहा, ‘इस समय केवल तुम ही श्रीराम-लक्ष्मण और वानर सेना की रक्षा कर सकते हो। तुम शीघ्र ही हिमालय पर्वत पर जाओ और वहां से औषधियां लेकर आओ, जिससे कि श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना पुन: स्वस्थ हो जाएं।’

उन्होंने आगे कहा कि, हिमालय पहुंचकर तुम्हें ऋषभ तथा कैलाश पर्वत दिखाई देंगे। उन दोनों के बीच में औषधियों का एक पर्वत है, जो बहुत चमकीला है। वहां तुम्हें चार औषधियां दिखाई देंगी, जिससे सभी दिशाएं प्रकाशित रहती हैं। उनके नाम मृतसंजीवनी, विशल्यकरणी, सुवर्णकरणी और संधानी है।

हनुमान तुम तुरंत उन औषधियों को लेकर आओ, जिससे कि श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना पुन: स्वस्थ हो जाएं। जांबवान की बात सुनकर हनुमानजी तुरंत आकाश मार्ग से औषधियां लेने उड़ चले। कुछ ही समय में हनुमानजी हिमालय पर्वत पर जा पहुंचे। वहां उन्होंने हनुमानजी ने अनेक महान ऋषियों के आश्रम देखे।

हिमालय पहुंचकर हनुमानजी ने कैलाश तथा ऋषभ पर्वत के दर्शन भी किए। इसके बाद उनकी दृष्टि उस पर्वत पर पड़ी, जिस पर अनेक औषधियां चमक रही थीं। हनुमानजी उस पर्वत पर चढ़ गए और औषधियों की खोज करने लगे।

उस पर्वत पर निवास करने वाली संपूर्ण महाऔषधियां यह जानकर कि कोई हमें लेने आया है, तत्काल अदृश्य हो गईं। यह देखकर हनुमानजी बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने वह पूरा पर्वत ही उखाड़ लिया, जिस पर औषधियां थीं।

कुछ ही समय में हनुमान उस स्थान पर पहुंच गए, जहां श्रीराम-लक्ष्मण व वानर सेना बेहोश थी। हनुमानजी को देखकर श्रीराम की सेना में पुन: उत्साह का संचार हो गया।

इसके बाद उन औषधियों की सुगंध से श्रीराम-लक्ष्मण व घायल वानर सेना पुन: स्वस्थ हो गई। उनके शरीर से बाण निकल गए और घाव भी भर गए। इसके बाद हनुमानजी उस पर्वत को पुन: वहीं रख आए, जहां से लेकर आए थे।

Tags: hanuman ji cholahanuman ji ka aashirwadhanuman ji ke upayhanuman ji ke upay in hindihanuman ji ko kaise manayeइस वजह से उनसे अब तक नाराज है लोगजीवन की हर मुश्किल घड़ी में बनेगा कवचयहां नहीं होती है हनुमान जी की पूजाश्री हनुमानजी का विलक्षण मंत्र
Previous Post

इस तरह की लापरवाहियां बना सकती हैं आपको यूट्रस कैंसर की शिकार

Next Post

इस पौधे को घर लाते ही चुंबक क तरह खींचा चला आता है पैसा

Writer D

Writer D

Related Posts

Margashirsha Amavasya
Main Slider

मार्गशीर्ष अमावस्या कब है?, जानें पूजा का मुहूर्त एवं विधि

08/11/2025
Utpanna Ekadashi
धर्म

उत्पन्ना एकादशी के दिन न करें ये काम, हो जाएगा अनर्थ

08/11/2025
Utpanna Ekadashi
Main Slider

उत्पन्ना एकादशी पर करें ये खास उपाय, श्री हरि विष्णु के साथ मिलेगी मां लक्ष्मी की कृपा!

08/11/2025
Makeup
Main Slider

घर पर ही इस तरह से करें मेकअप, मिलेगा पार्लर जैसा लुक

08/11/2025
Beard
फैशन/शैली

दाढ़ी मूछों में नजर आने लगा है सफेद बाल, तो इससे करें काला

08/11/2025
Next Post
Crassula

इस पौधे को घर लाते ही चुंबक क तरह खींचा चला आता है पैसा

यह भी पढ़ें

PM Modi

मोदी को चुनावी बिगुल फूंकने की जरूरत नहीं, मोदी विकास का बिगुल फूंकता है : प्रधानमंत्री

25/01/2024
vaccine

बच्चों पर कोवैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल शुरू, 12 वालंटियर को दी गई पहली डोज

10/06/2021
Akhilesh Yadav

बांके बिहारी मंदिर हादसे में हुई मौतें योगी सरकार पर धब्बा रहेगी: अखिलेश यादव

20/08/2022
Facebook Twitter Youtube

© 2022 24घंटेऑनलाइन

  • होम
  • राष्ट्रीय
    • उत्तराखंड
    • उत्तर प्रदेश
    • छत्तीसगढ़
    • हरियाणा
    • राजस्थान
  • राजनीति
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म

© 2022 24घंटेऑनलाइन

Go to mobile version