कुंभ मेले में शामिल होने के लिए नागा संन्यासी पहुंचने शुरू हो गए हैं। गुरुवार को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से सुबह 9.30 बजे जमात एसएमजेएन कॉलेज की छावनी के लिए रवाना होगी। बुधवार से अखाड़े में कन्या पूजन कर कार्यक्रम की शुरुआत कर दी गई।
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव और मेला प्रभारी श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए नागा संन्यासियों का होना बहुत जरूरी है। मुगल शासकों के समय में नागा संन्यासियों ने लड़ाई लड़कर सनातन धर्म की रक्षा की है। कहा कि कुंभ के लिए पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के नागा संन्यासी हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गये हैं। यह बात उन्होंने बुधवार को पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में कन्या पूजन के दौरान कही। अखाड़ा के सिद्ध महात्मा माने जाने वाले नागा संन्यासी श्रीमहंत रामवन हरिद्वार पहुंच गए हैं। उन्होंने अखाड़ा में कन्या पूजन किया। श्रीमहंत रामवन के अखाड़ा में पहुंचने पर श्रीमहंत रविंद्रपुरी और अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने उनका स्वागत किया।
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श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि भगवान शंकर की तरह ही नागा संन्यासी वस्त्र नहीं पहनते हैं। श्रीमहंत राम रतन गिरी ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की रक्षा के साथ ही प्रचार-प्रसार के लिए संत समाज ने हमेशा अपना योगदान दिया है। उन्होंने बताया कि नागा संन्यासी एसएमजेएन कॉलेज स्थित छावनी में पहुंचना शुरू हो गये हैं। गुरुवार को जमात निकाली जाएगी। अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने कहा कि रमता पंच आज पहुंच जाएंगे। इसके लिए सभी व्यवस्था कर ली गई है।
इस अवसर पर श्रीमहंत मनीष भारती, श्रीमहंत नरेश गिरी, श्री महंत राधे गिरी, गंगा गिरि, निलकंठ गिरी, राजगिरी, आनंद गिरि, राजेंद्र भारती, राकेश गिरी, रतन गिरी, दिगंबर विनोद गिरी, महेश गिरी, अनुज पुरी, नीतीश पुरी, सौरव गिरी, आनंद अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती आदि शामिल रहे।
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श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि श्रीमहंत रामवन अखाड़ा के सिद्ध महात्मा हैं। उन्होंने आजीवन वस्त्र नहीं पहने हैं। देशभर में 50 से अधिक मंदिर उन्होंने बनवाये हैं। जिस स्थान पर जाते हैं, वहां ज्यादा दिन नहीं रुकते हैं। दूसरे स्थान पर तपस्या के लिए निकल जाते हैं। कभी पक्के मकान में निवास नहीं करते। हमेशा तंबू में ही रहकर अपनी तपस्या की है।
हरिद्वार में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की 3 मार्च को निकलने वाली पेशवाई में उत्तराखंड की कुमाऊं और गढ़वाल की झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेंगी। वहीं कॉलेज के छात्र-छात्राएं संगीतमय प्रस्तुतियां भी देंगे।