चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में इस बार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर भी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को नहीं रोक पाए। बीजेपी उम्मीदवार हरप्रीत कौर (Harpreet Kaur Babla) को कुल 19 वोट मिले। वहीं, आम आदमी पार्टी की मेयर उम्मीदवार प्रेमलता के पक्ष में 17 वोट पड़े। नंबरगेम आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में था लेकिन बाजी बीजेपी ने मार ली।
बीजेपी के पक्ष में तीन पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग की। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन ने क्रॉस वोटिंग रोकने, एक-एक वोट सहेजने के लिए अपने सभी पार्षदों को रिसॉर्ट में ठहराया था। आम आदमी पार्टी के पार्षद पंजाब पुलिस की निगरानी में थे जबकि कांग्रेस पार्षदों पर पार्टी के ही नेता नजर रख रहे थे लेकिन ये तरकीब भी कारगर नहीं रही।
इस बार मतदान गुप्त मतदान प्रणाली के जरिये हुआ। ऐसे में क्रॉस वोटिंग करने वाले पार्षदों का पता लगा पाना भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त स्वतंत्र पर्यवेक्षक पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जयश्री ठाकुर की निगरानी में चुनाव हुए।
मेयर चुनाव में पहला वोट चंडीगढ़ के सांसद मनीष तिवारी ने डाला और इसके बाद पार्षदों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। वोटिंग के शुरुआती घंटे में ही बैलट पेपर को लेकर विवाद भी सामने आया। चंडीगढ़ के वार्ड नंबर एक से आम आदमी पार्टी की पार्षद जसविंदर कौर ने बैलट पेपर पर एक डॉट होने का आरोप लगाते हुए वोट डालने के लिए एक और बैलट देने की मांग की।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ नगर निगम का कुल संख्याबल 35 है। निगम के 35 पार्षदों के साथ ही चंडीगढ़ के सांसद भी मेयर चुनाव में वोट करते हैं। कुल मिलाकर 36 वोट हैं। सौ फीसदी वोट पड़े लेकिन क्रॉस वोटिंग के कारण आम आदमी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा।
चंडीगढ़ के निगम सदन में 13 पार्षदों के साथ आम आदमी पार्टी दूसरे और कांग्रेस छह पार्षदों के साथ तीसरे नंबर पर है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पास सांसद के वोट समेत कुल 20 वोट हैं जो जीत सुनिश्चित करने के लिए जरूरी 19 से एक ज्यादा है।