नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) से संबंधित याचिकाओं को 30 जुलाई 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया है । जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ताओं को उन व्यक्तियों के नाम पेश करने का निर्देश दिया, जिन्हें संदेह है कि उनके डिवाइस में इस इज़रायली सॉफ़्टवेयर को लगाया गया । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अगर देश स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर रहा है तो इसमें क्या गलत है? अदालत ने स्पष्ट किया कि स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) होने में कोई समस्या नहीं है । इसका इस्तेमाल कुछ लोगों के खिलाफ किया जा सकता है । सो, हमें देश की सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहिए ।
अदालत ने कहा कि इसका इस्तेमाल किसके खिलाफ किया जा रहा है, यह सवाल है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेशक अगर इसका इस्तेमाल समाज के किसी व्यक्ति के खिलाफ किया जाता है, तो निश्चित रूप से इस पर गौर किया जाएगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत आशंकाओं का समाधान किया जा सकता है लेकिन तकनीकी पैनल की रिपोर्ट को सड़कों पर चर्चा के लिए दस्तावेज नहीं बनाया जा सकता । वहीं इस मामले में सरकार की तरफ से पेश हो रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आतंकियों का कोई निजता का अधिकार नहीं होता ।
क्या है पूरा मामला?
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि पेगासस (Pegasus Spyware) का इस्तेमाल करना गलत नहीं है, लेकिन नागरिकों के खिलाफ इसके दुरुपयोग की जांच की जाएगी ।
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सर्वोच्च अदालत उन याचिकाओं की जांच कर रही है, जिनमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने लोगों के मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरिए उन पर जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया । पत्रकारों, जजों, कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों पर जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल का आरोप लगा है ।