उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री मोहम्मद आज़म खां की बहन के रिवर बैंक कालोनी स्थित सरकारी घर की बेदखली के मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सुनवाई के लिए गुरुवार 19 नवम्बर को नियत किया है।
आज़म खां की बहन निखत अफ़लाक ने सरकारी आवास को बचाये रखने की मांग की है। न्यायालय ने नगर निगम के वकील से कहा कि बताए कि आवश्यक दस्तावेज याची को उपलब्ध कराए है अथवा नहीं। वही साथ ही याची के वकील से भी कहा कि वह बताएं कि याची सरकारी घर की हकदार कैसे है।
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न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायामूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने मंगलवार को यह आदेश आज़म की बहन निखत अफ्लाक़ की याचिका पर दिया था ।
गौरतलब है कि इसमें याची ने याचिका पेश कर गत 24 अगस्त की उस कारण बताओ नोटिस को चुनौती दी है , जिसमें उन्हें शहर की रिवर बैंक कालोनी में आवंटित आवास ए-2/1 को खाली करने को कहा गया था। कहा गया था कि याची इस मकान में नहीं रहती हैं और वर्ष 1951 की नीति के तहत यह आवास सरकारी सेवकों के लिए था। चूंकि याची सरकारी सेवक नहीं है लिहाजा वह आवंटन की हकदार नहीं है। सरकारी सेवक न/न होने के इस दूसरे आधार को लेकर याची को कारण बताओ नोटिस नहीं दी गई थी और इस सम्बन्ध में उन्हें कोई सामग्री भी नहीं दी गई थी।
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इसपर न्यायालय ने नगर निगम के वकील को निर्देश दिया था कि वह याची को जरूरी दस्तावेज भी याची को मुहैया करवायें। साथ ही सुनवाई के समय पहले याची की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार को भी कहा था कि वह अदालत को संतुष्ट करें कि क्या कानूनन याची उक्त आवास के आवंटन या रहने की हकदार थी अथवा नही ।
बुधवार को मामले की सुनवाई का पर्याप्त समय न/न होने की वजह से अदालत ने मामले की अगली सुनवाई गुरुवार 19 नवम्बर नियत की है।