इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के दो पुत्राें के खिलाफ फर्जीवाड़े के आरोप में दर्ज मामले में उनकी गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
न्यायालय ने मामले में राज्य सरकार समेत अन्य पक्षकारों को प्रतिशपथपत्र दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। इसके बाद दो सप्ताह में याचियों की तरफ से प्रति उत्तर भी दाख़िल किया जा सकेगा।
अदालत ने इसके बाद याचिका को छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने के आदेश दिए हैं। न्यायालय ने कहा कि तब तक दोनों यचियों की इस मामले में गिरफ्तारी पर रोक रहेगी । हालांकि, अदालत ने साफ कहा है कि इस मामले की तफ्तीश जारी रहेगी और दोनों याची विवेचना करने वाली एजेंसी को पूरी तरह से सहयोग करेंगे।
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न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने यह आदेश मुख्तार अंसारी के पुत्रों अब्बास अंसारी व उमर अन्सारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच जी एस परिहार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया ।
याचिका में लखनऊ के हज़रतगंज कोतवाली में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की गुजरिश करते हुए आरोपियों की इस प्रकरण में गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था। इसमें शहर के डालीबाग इलाके में कथित निष्क्रान्त सम्पत्ति पर घर का नक्शा एलडीए से मंजूर कराने में फर्जीवाड़ा के आरोप है ।
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याचियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिगोविंद सिंह परिहार व जयदीप नारायण माथुर ने दलील दी थी कि यह मामला दीवानी प्रकृति के विवाद का है और प्रश्नगत प्राथमिकी से याचियों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। कहा कि याचियों को इसमें राजनीतिक विद्ववेश फंसाया गया है, लिहाजा याचियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जानी चाहिए। उधर, राज्य सरकार की तरफ से याचिका का विरोध करते हुए कहा कि प्रश्नगत प्राथमिकी से पहली नजर में संज्ञेय मामला बनता है, लिहाजा याचिका क्षेत्राधिकार के तहत यह उच्च न्यायालय के दखल देने लायक मामला नहीं है।
अदालत ने आदेश में कहा कि इस मामले में यचियों को अंतरिम राहत देने का केस बनता है । अदालत ने इस मामले की सुनवाई के बाद पहले अंतरिम राहत की अर्जी पर गत 15 अक्तूबर को अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था, जिसे अदालत ने बुधवार को सुनाया।