लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अवमानना के मामले में रायबरेली के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव को लताड़ लगाते हुए कहा है कि उन्होंने अदालत के आदेश को बहुत ही हल्के में लिया है। अदालत ने कहा कि आजकल न्यायपालिका के आदेशों को हल्के में लेने का फैशन हो गया है। कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि आदेश का अनुपालन कर रिपोर्ट प्रेषित नहीं की जाती, तो 23 अप्रैल को उन्हें स्वयं अदालत में हाजिर होकर स्पष्टीकरण देना होगा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना के आरोप तय कर दिये जायें। अदालत ने उनका बचाव करने आये महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह को भी आड़े हाथों लिया, जब उन्होंने यह कहा कि मौके पर अतिक्रमण राज्य सरकार के आदेश पर हटाया गया है न कि अदालत के आदेश के अनुपालन में।
यह आदेश जस्टिस चंद्र धारी सिंह की एकल पीठ ने कमला नेहरू एजूकेशनल सोसायटी, रायबरेली की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित किया। दरअसल याचिका में आरोप लगाया गया था कि अदालत की डिवीजन बेंच ने 7 जुलाई 2020 को आदेश दिया था कि मौके पर अतिक्रमण हटाकर कब्जा याची को दिया जाये। कहा गया कि अतिक्रमण तो हटा दिया गया, किंतु याची को आज तक कब्जा नहीं दिया गया है।
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याचिका पर 25 फरवरी 2021 को सुनवाई के बाद अदालत ने जिलाधिकारी को 7 जुलाई 2020 को पारित आदेश का अनुपालन करने का आदेश दिया था। पर, जब याचिका पुन: सुनवाई के लिए आयी तो जिलाधिकारी की ओर से इस प्रकरण में निर्देश तैयार करने के लिए चार हफ्ते का समय मांगा गया। इस पर अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी तत्काल जवाब तलब कर लिया।
यह मामला 3 मार्च का है। जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव करीब 3 बजकर 20 मिनट पर कोर्ट में हाजिर हुए। उनकी ओर से बहस के लिए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह उनके साथ आये। महाधिवक्ता ने अपने तर्कों से अदालत को संतुष्ट करने की कोशिश की किंतु कोर्ट को जब उनसे यह पता चला कि उसके 7 जुलाई 2020 के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है, अपितु राज्य सरकार के एक आदेश के अनुपालन में ऐसा किया गया है, तो अदालत बहुत नाराज हो गयी। मामला तब और गंभीर हो गया जब महाधिवक्ता राज्य सरकार का आदेश नहीं पेश कर सके।
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अदालत के संज्ञान में जब यह आया कि 7 जुलाई 2020 के आदेश के अनुपालन की बावत राज्य सरकार ने महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह से कानूनी राय मांगी और अब तक उन्होंने राय देना तो दूर, फाइल भी नहीं देखी है तो उसने कहा कि इस प्रकार उसके आदेशों को हल्के में लेने की इजाजत नहीं दी सकती। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई तक जिलाधिकारी आदेश का अनुपालन करके हलफनामा दें अन्यथा अवमानना के आरोप का सामना करने के लिए व्यक्तिगत रूप से हाजिर रहें।