दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल ने 24 घंटे में ही उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें नर्सिंग स्टाफ के ‘मलयालम’ बोलने पर रोक लगा दी गई थी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने अस्पताल प्रशासन से इससे संबंधित आदेश वापस लेने के लिए कहा है। दिल्ली सरकार की ओर से इस तरह का आदेश जारी करने के लिए जीबी पंत अस्पताल के एमएस को नोटिस भी जारी किया गया है।
जीबी पंत अस्पताल के एमएस से नोटिस जारी कर यह पूछा गया है कि इस तरह का आदेश कैसे जारी किया गया। इस संबंध में जीबी पंत नर्सेस एसोसिएशन के प्रेसिडेंट लीलाधर रामचंदानी ने बताया कि दिल्ली सचिवालय से एक शिकायत फॉरवर्ड होकर नर्सिंग सुपरिटेंडेंट के पास आई थी। उसी आधार पर ये सर्कुलर जारी किया गया था जिसे मेडिकल डायरेक्टर की जानकारी में आने के बाद वापस ले लिया गया है। उन्होंने दावा किया कि नर्सिंग स्टाफ में आपस में धर्म या भाषा को लेकर कोई विरोधाभास नहीं है। रामचंदानी ने कहा कि हमलोग एकजुटता के साथ काम कर रहे हैं और करते रहेंगे।
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दरअसल, जीबी पंत अस्पताल की ओर से एक दिन पहले ही यह आदेश जारी किया गया था कि बातचीत के लिए नर्सिंग स्टाफ केवल हिंदी या अंग्रेजी भाषा में ही बात करेंगे। इन दो भाषाओं को छोड़कर किसी अन्य भाषा में बात करते पाए जाने पर कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी गई थी। जीबी पंत अस्पताल ने इससे संबंधित सर्कुलर एक शिकायत के बाद जारी किया था।
अस्पताल प्रशासन को मिली शिकायत में यह कहा गया था कि नर्सिंग स्टाफ अपनी लोकल भाषा मलयालम में बात करते हैं। शिकायतकर्ता ने कहा था इससे मरीजों को उनकी बात समझने में परेशानी होती है। अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ की ओर से आपसी बातचीत के लिए मलयालम भाषा का उपयोग किए जाने की शिकायत पर अस्पताल की ओर से सर्कुलर जारी कर हिंदी या अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषा के उपयोग पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी।
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जीबी पंत अस्पताल के इस फरमान का काफी विरोध हुआ। मामले ने सियासी रूप ले लिया और कई नेताओं ने इसका खुलकर विरोध किया। केरल के वायनाड से सांसद और कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस फरमान को भाषा के आधार पर भेदभाव बताते हुए कहा था कि मलयालम भी उतनी ही भारतीय भाषा है जितनी कोई अन्य भाषा। बहरहाल, बढ़ते विरोध को देख दिल्ली सरकार ने अस्पताल से आदेश वापस लेने के लिए कह दिया है।