गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद नगर निगम के उस फैसले पर आपत्ति जताई है जिसमें सड़कों के किनारे नॉनवेज बेचने पर बैन लगा दिया गया है। गुजरात हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नगर निगम से पूछा कि आप लोगों को उनकी पसंद की चीजों को खाने से कैसे रोक सकते हैं? आपको बता दें कि निगम की तरफ से 15 नवंबर को सड़कों के किनारे ठेलों और रेहड़ी में मांसहार बेचने के खिलाफ कार्रवाई करते हुए इसे बैन कर दिया गया था।
जस्टिस बिरेन वैष्णव की बेंच ने कई सवाल किए उन्होंने पूछा कि मुझे क्या खाना है यह आप कैसे तय कर सकते हैं? आपको मांसाहार पसंद नहीं है तो ये आपका नजरिया है। लेकिन आप किसी भी व्यक्ति को उसकी पसंद का खाना खाने से कैसे रोक सकते हैं।
पीठ ने अहमदाबाद नगर निगम (AMC) से पूछा कि क्या दूसरे लोगों को आपकी मर्जी के हिसाब से चलना होगा? मतलब कल सुबह आप यह तय करेंगे कि मुझे बाहर जाकर क्या खाना चाहिए?
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वहीं, इस दौरान उन्होंने अहमदाबाद नगर निगम की खिंचाई भी की। उन्होंने कहा कि मुझे अगर कल गन्ने का रस पीने की इच्छा होगी तो आप यह कहेंगे कि शुगर हो जाएगी, इसलिए नहीं पीना और कॉफी स्वास्थ्य के लिए खराब हैं? ये क्या बात हुई…?आप किसी को उसकी पसंद का खाना खाने से कैसे रोक सकते हैं? वहीं, कोर्ट ने एएमसी को मामलों पर जल्द से जल्द विचार करने के आदेश दिए हैं।
बता दें कि कोर्ट याचिकाकर्ताओं के वकील रोनित जॉय की तरफ से दिए गए प्रस्तावों का जवाब दे रही थी। इसमें कहा गया था कि उनकी गाड़ियां बिना किसी आधिकारिक आदेश के जब्त किया गया था। वडोदरा, सूरत, भावनगर, जूनागढ़ और अहमदाबाद में नागरिक निकायों की तरफ से प्रतिकूल स्थिति के कारण गाड़ियों को जब्त किया गया। वहीं, पिछले महीने राजकोट की मेयर ने कहा कि मांसाहारी भोजन बेचने वाली गाड़ियां धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती हैं।