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जगन्नाथ पुरी में कितने देवी-देवता विराजमान हैं, जानें कौन हैं यहां के रक्षक देव

Writer D by Writer D
28/06/2024
in धर्म, फैशन/शैली
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Jagannath

Lord Jagannath

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ओड़िशा में स्थित विश्‍व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर (Jagannath Mandir) के कई चमत्कार और रहस्य हैं। वैष्‍णव पंथ का यह प्रमुख मंदिर है जहां पर भगवान श्री कृष्‍ण अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ विराजमान हैं। यहीं पर माता लक्ष्मी भी विराजमान हैं। श्रीहरि विष्णु की लीलाओं का यह मुख्‍य स्थान हैं। आओ जानते हैं इस मंदिर क्षेत्र में कौन कौन से प्रमुख देवी एवं देवता विराजमान हैं।

नीलमाधव : हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक उड़ीसा के पुरी नगर की गणना सप्तपुरियों में भी की जाती है। पुरी को मोक्ष देने वाला स्थान कहा गया है। इसे श्रीक्षेत्र, श्री पुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी कहते हैं। पुराण के अनुसार नीलगिरि में पुरुषोत्तम हरि की पूजा की जाती है।

मां विमला : सबसे प्राचीन मत्स्य पुराण में लिखा है कि पुरुषोत्तम क्षेत्र की देवी विमला है और यहां उनकी पूजा होती है। यह एक जागृत शक्तिपीठ है और सभी पुरीवासी भगवान जगन्नाथ से ज्यादा इन्हें मानते हैं। इन देवी की आज्ञा से ही सभी कार्य होते हैं। यह यहां की रक्षक देवी हैं। यह रावण की कुलदेवी भी हैं। इन्हें योगमाया और परमेश्वरी कहा जाता है। जगन्नाथ से पहले से ही वे यहां विराजमान हैं। इसे पहला आदिशक्ती पीठ कहा जाता है। यहां पर मां सती का दाईंना पैर गिरा था। तंत्र और मंत्र की अधिश्‍वरी देवी वही है। माया और छाया उन्हीं के कंट्रोल में रहती है। यह तंत्र का सेंटर है।

श्री नृसिंह देव :  भगवान श्री जगन्नाथ ( Jagannath) का मंदिर और मूर्ति स्थापित करने के पहले इस क्षेत्र की रक्षा करने के लिए श्रीहरि विष्णु के आवेश अवतार भगवान श्री नृसिंह देव की मूर्ति की स्थापना की गई थी।

गुंडिचा देवी : श्री जगन्नाथ ( Jagannath)  के भक्त राजा इंद्रद्युम्न की पत्नी गुंडिचा ने पुरी क्षेत्र घोर तप किया था। वहां पर उनका एक प्राचीन मंदिर है। जगन्नाथ जी प्रतिवर्ष यात्रा निकालकर इस मंदिर में गुंडिचा देवी से मिलने जाते हैं और यहीं पर वे 9 दिनों तक विश्राम करते हैं।

बेड़ी हनुमान : कहते हैं कि इस मंदिर की रक्षा का दायित्व प्रभु जगन्नाथ ( Jagannath)  ने श्री हनुमानजी को ही सौंप रखा है। यहां के कण कण में हनुमानजी का निवास है। हनुमानजी ने यहां कई तरह के चमत्कार बताए हैं। इस मंदिर के चारों द्वार के सामने रामदूत हनुमानजी की चौकी है अर्थात मंदिर है। परंतु मुख्‍य द्वार के सामने जो समुद्र है वहां पर बेड़ी हनुमानजी का वास है।

Tags: AstrologyAstrology tipsjagannath rath yatraJagannath Rath Yatra 2024
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