नई दिल्ली। भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कार्यवाहक कप्तान आजिंक्या रहाणे ने कहा है कि उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में अपनी कप्तानी के दौरान खिलाड़ियों को परिणाम की चिंता किए बगैर अपना वास्तविक खेल खेलने के लिए प्रेरित किया था। रहाणे ने हाल ही में संपन्न हुए ऑस्ट्रेलिया दौरे के बारे में कहा, ‘इस दौरे में हर खिलाड़ी की भूमिका महत्वपूर्ण रही। खासतौर पर मेरे लिए टीम का नेतृत्व करना महत्वपूर्ण था। टीम की कमान संभालने के बाद मैंने खिलाड़ियों से एडिलेड में खेले गए पहले टेस्ट मैच को भुलाने और दूसरे टेस्ट में परिणाम की चिंता किए बगैर अपना वास्तविक खेल खेलने के लिए कहा।’
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रहाणे ने नेतृत्व को लेकर कहा, ‘सवाल कभी आत्मविश्वास या संदेह का था ही नहीं। मैंने हमेशा खुद को सर्वाेच्च स्तर पर माना है। लोग क्या कहते हैं इस बात ने मुझे शायद ही कभी परेशान किया है। मुझे पता है कि मैं कहां से आया हूं। मैंने न केवल अभी, बल्कि अतीत में भी महत्वपूर्ण समय में जो योगदान दिया है वही मायने रखता है। लोग क्या कहते हैं या क्या सोचते हैं यह उनकी समस्या है। मैंने साथी खिलाड़ियों को भी अपने संदेश में यही कहा कि हमें खुद पर विश्वास रखते हुए खेल में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देना है। मैंने उन्हें एडिलेड टेस्ट को भी भुलाने के लिए कहा, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि उस दिन के एक घंटे के खेल के कारण खिलाड़ियों को अपनी क्षमता पर संदेह हो।’
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कप्तान ने एक अंग्रेजी दैनिक को साक्षात्कार में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों की रंगभेद संबंधी टिप्पणियों के बारे में कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्रिकेट खेलते वक्त दुर्व्यवहार सामान्य बात है। ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों द्वारा मैदान पर ऐसी हरकतें आम हैं। 2018-19 दौरे के दौरान भी ऐसा ही कुछ हुआ था। इस बार भी हमें कुछ यही उम्मीद थी, इसलिए यहां खुद और क्रिकेट पर ध्यान देना ही उचित है और यही हमने किया, लेकिन रंगभेद पर टिप्पणियां होना बर्दाश्त से बाहर थी। बाउंड्री के पास खड़े खिलाड़ियों को रंगभेद संबंधी टिप्पणियों का सामना करना पड़ा जो हमें स्वीकार्य नहीं था। सिराज और अन्य खिलाड़ियों ने इसकी शिकायत की और फिर हमने अंपायरों से कहा कि मामले को सुलझाना होगा। ऐसे लोगों को मैदान से बाहर निकालने के बाद ही हम खेल शुरू करेंगे।’
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रहाणे ने ब्रिस्बेन में सर्वश्रेष्ठ एकादश के बारे में कहा, ‘यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती थी। सवाल यह था कि उपलब्ध खिलाड़ियों में से सबसे अच्छा तालमेल कैसे चुना जाए। गेंदबाजी के तालमेल पर अधिक विचार हुआ। प्रश्न यह भी था कि पांचवें गेंदबाज को खेलाया जाए या फिर एक अतिरिक्त बल्लेबाज को। अंत में टीम चुनी गई, जिसमें तीन खिलाड़ी पदार्पण करने वाले थे। इन खिलाड़ियों को खुद पर विश्वास दिलाना हमारी प्राथमिकता रही।’